Shimla: पुलिस विभाग की मैडीकल बिल भुगतान को लेकर लगाई शर्त अन्यायपूर्ण : हाईकोर्ट

punjabkesari.in Wednesday, Nov 19, 2025 - 10:16 PM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग द्वारा मैडीकल बिल भुगतान को लेकर लगाई शर्त को अन्यायपूर्ण ठहराया है। विभाग ने सेवानिवृत्त पुलिस इंस्पैक्टर के मैडीकल बिल का भुगतान करने से पहले शर्त लगाई थी कि पहले वह मुख्यमंत्री राहत कोष से बेटे के इलाज के लिए वर्ष 2012 में मिली सवा लाख रुपए की राशि लौटाए। कोर्ट ने इस शर्त को अत्यंत कठोर ठहराया और पुलिस विभाग को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्त्ता के मैडीकल बिल का बिना शर्त भुगतान करे।

मामले के अनुसार याचिकाकर्त्ता प्रीतम मार्शल पुलिस विभाग में कार्यरत था और विभाग से निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुआ था। वर्तमान में उनकी आयु 68 वर्ष है। याचिकाकर्त्ता के पुत्र को वर्ष 2005 में क्रोनिक किडनी रोग/किडनी फेलियर का पता चला था और उन्हें सप्ताह में 2 बार हीमोडायलिसिस करवाने की सलाह दी गई थी। याचिकाकर्त्ता के अनुसार, इन परिस्थितियों का सामना करते हुए, जिसमें बहुत अधिक खर्च की आवश्यकता थी, याचिकाकर्त्ता ने वित्तीय सहायता की मांग करते हुए अपने विभाग से संपर्क किया, लेकिन उन्हें अपने बेटे के खर्च और उपचार को पूरा करने के लिए विभाग से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली। इन परिस्थितियों में याचिकाकर्त्ता ने माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध किया, जिन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष से 1,25,000 रुपए की राशि स्वीकृत की।

याचिकाकर्त्ता का पुत्र अपनी बीमारी से हार गया और 23 सितम्बर, 2021 को उसकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्त्ता की शिकायत थी कि अब विवादित आदेश के अनुसार, याचिकाकर्त्ता को देय चिकित्सा प्रतिपूर्ति के संबंध में यह आदेश दिया गया है कि उससे मुख्यमंत्री राहत कोष से प्राप्त 1,25,000 रुपए की राशि काट ली जाएगी। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि चूंकि याचिकाकर्त्ता के बेटे ने लगभग एक दशक तक बीमारी से जूझने के बाद वर्ष 2021 में अपनी जान गंवा दी, जो न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि बच्चे और याचिकाकर्त्ता के परिवार के लिए भी भावनात्मक रूप से कष्टदायक थी। इसलिए उनका सुविचारित मत है कि इस मामले के विशिष्ट तथ्यों को देखते हुए, विभाग को कुछ अधिक करुणा और सहानुभूति दिखानी होगी।

याचिकाकर्त्ता के चिकित्सा प्रतिपूर्ति दावा बिलों से राशि की कटौती, जो उसे वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री राहत कोष के अंतर्गत भुगतान की गई थी, इस मामले के विशिष्ट तथ्यों को देखते हुए, अत्यधिक मनमाना, अन्यायपूर्ण और कानून की दृष्टि में टिकने योग्य नहीं है। कोर्ट ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्त्ता के चिकित्सा प्रतिपूर्ति दावा बिलों से 1,25,000 रुपए की राशि की कटौती किए बिना उसे चुकाएं, जो उसे वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री राहत कोष के अंतर्गत भुगतान की गई थी।


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Kuldeep

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