देखें कैसे Upper Shimla में मौत बनकर दौड़ रही Buses (Watch Video)

punjabkesari.in Thursday, Jun 27, 2019 - 03:30 PM (IST)

ठियोग (सुरेश): प्रदेश में हुए बड़े बस हादसे के बाद भी सरकारी अमला बसों में ओवरलोडिंग रोकने के झूठे ढकोसले कर रहा है। सूबे के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक के बयान आपने इन दिनों सोशल मीडिया में छाए हुए देखे होंगे। मुख्यमंत्री कहते हैं हम ऐसा करेंगे वैसा करेंगे लेकिन हालात जस के तस और सुरक्षा तंत्र का जिम्मा सम्भाले पुलिस महानिदेशक कड़ी कार्रवाई करने का फरमान अपने अधिकारियों पर और बस आपरेटरों को सुना रहे हैं लेकिन हकीकत कुछ और हैं। साहब इन बंद कमरों से बाहर निकल आपको हकीकत से रू-ब-रू कराते है। ये ऊपरी शिमला का प्रवेश द्वार ठियोग है जहां से ऊपरी शिमला की सभी बसों की आवाजाही रहती है लेकिन इन बैखोफ नियमों की धज्जियां उड़ती ये तस्वीरें हादसे के चंद दिनों बाद भी जस की तस बनी हुई है। कुछ ही दिन बीते लेकिन सवारियों की जिंदगी के साथ मौत के सफर का खेल बदस्तूर अभी भी जारी है।
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बसों में आलुओं की तरह सवारियों को ठूसने का काम लगातार जारी है। जरा देखिए इन बसों में हो रही ओवरलोडिंग को शायद आपकी आंखों में जमी धूल थोड़ी धूल जाए। बसों से ओवरलोडिंग को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा मचाया जा रहा कार्रवाई का हो-हल्ला जनता की आंखों में धूल झोंकना मात्र दिखावा है। प्रदेश की सत्ता में कोई भी सरकार काबिज हो ओवरलोडिंग पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला सरकारी और निजी बसों के ड्राइवर और कंडक्टर नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है, इन्हें पूछने वाला कोई नहीं। देखिए इन कर्मचारियों को किसी के पास लाइसेंस नहीं तो किसी के पास फर्स्ट एड बॉक्स नहीं और तो ओर बरसात आने से पहले ही सबकी वर्दी भीग गई है अब पता नहीं कब सूखेगी। जरा आप भी सुनिए इन बेचारों की दिक्कतें शायद आपको इन पर कोई रहम आ जाए। चालकों के साथ कैबिन में सवारियों को बिठाया जाता है। आज भी म्यूजिक सिस्टम का बसों में जमकर धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है।
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हिमाचल पथ परिवहन निगम के चालक परिचालक भी बसों को सवारियों के लिए नहीं रोकते खाली बसें ले दौड़ाते हैं। सरकार निरंतर कार्रवाई क्यों नहीं करती? जब कोई बड़ी दुर्घटना घट जाती है तब ही गहरी कुंभकर्णी नींद से जागती है। पुलिस कर्मचारी अपने हाथों में चालान की पोथी ओर मुंह मे सिटी बजाय चलो चलो की एक रट लगाए चुपचाप खड़े रहते हैं। उस्ताद जी ने सल्यूट मारा और काम हो गया। बसों मे ओवरलोडिंग रुक ही नहीं सकती, न ही अंकुश सरकार व प्रशासन की नाकामियों के चलते लग सकता है। जमीनी हकीकत तो यही है कि बसों में ओवरलोडिंग एक गंभीर विकराल समस्या है। इस हकीकत को नकारा नहीं जा सकता है लेकिन यह भी कड़वा सत्या है कि सरकार के पास पुख्ता इंतजाम अतिरिक्त व्यवस्था नहीं आज भी धड़ल्ले से ओवरलोडिंग हो रही है।
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