Himachal: रिटायर हाेते ही बिजली बोर्ड के चेयरमैन बने प्रबोध सक्सेना, संजय गुप्ता काे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेदारी
punjabkesari.in Wednesday, Oct 01, 2025 - 11:46 AM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए प्रबोध सक्सेना को रिटायरमैंट के तुरंत बाद हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड के चेयरमैन की अहम जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय गुप्ता को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का नया चेयरमैन नियुक्त किया है।
बता दें कि 1990 बैच के आईएएस अधिकारी प्रबोध सक्सेना बीते कल ही मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सरकार ने उन पर अपना भरोसा कायम रखते हुए उन्हें बिजली बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त कर दिया। उन्हें ये नियुक्ति 3 साल के लिए मिली है। यही नहीं, सरकार ने उन्हें मुख्य सचिव के बराबर का रैंक भी दिया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी सुक्खू सरकार ने प्रबोध सक्सेना के काम पर भरोसा जताते हुए उन्हें मुख्य सचिव के तौर पर 6 माह का सेवा विस्तार दिया था।
वहीं, 1988 बैच के आईएएस अधिकारी संजय गुप्ता, जो अब तक राज्य बिजली बोर्ड के चेयरमैन का पद संभाल रहे थे, उन्हें अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का जिम्मा दिया गया है। वह पहले भी इस पद पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। संजय गुप्ता के कार्यभार संभालने के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पंत इस पद के अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त हो जाएंगे। सरकार ने संजय गुप्ता को भी मुख्य सचिव के बराबर का रैंक दिया है और वह अगले आदेशों तक रोपवे एंड रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डिवैल्पमैंट कॉर्पोरेशन के चेयरमैन व सहप्रबंध निदेशक का काम भी देखते रहेंगे।
इन नियुक्तियों के पीछे प्रदेश के नए मुख्य सचिव की नियुक्ति का पूरा समीकरण छिपा है। संजय गुप्ता अपनी वरिष्ठता के आधार पर मुख्य सचिव पद के सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में उनकी नियुक्ति के बाद यह लगभग तय हो गया है कि वह इस रेस से बाहर हो गए हैं।
अब मुख्य सचिव पद के लिए 1993 बैच के आईएएस अधिकारी और वर्तमान में अतिरिक्त मुख्य सचिव कमलेश कुमार पंत का रास्ता साफ होता दिख रहा है। वरिष्ठता सूची में वह संजय गुप्ता के ठीक बाद आते हैं और अब उनकी ताजपोशी की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि आज ही उनके नाम पर अंतिम फैसला हो सकता है। वहीं कमलेश कुमार पंत के बाद एसीएस ओंकार शर्मा का नाम आता है, लेकिन चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले में उनकी जांच रिपोर्ट पर उठे सवालों के बाद उनके मुख्य सचिव बनने की संभावनाएं बेहद कम मानी जा रही हैं।