Himachal: बिजली बोर्ड में अपने ही निकले ''घर के भेदी'', कंपनी से मिलकर लगाया 11.84 करोड़ का चूना, विजिलैंस ने कसा शिकंजा
punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 12:08 AM (IST)

शिमला (राक्टा): हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड को उसके ही कुछ तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों ने निजी कंपनी के साथ मिलीभगत कर करोड़ों रुपए की चपत लगा दी। आरोप है कि आपसी मिलीभगत कर कंपनी को नियमों के विपरीत विशेष अनुचित लाभ पहुंचाया गया, जिससे बोर्ड को 11.84 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ, ऐसे में बिजली बोर्ड के चेयरमैन एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय गुप्ता की शिकायत पर विजिलैंस ने शिमला में बोर्ड के तत्कालीन चीफ इंजीनियर (संचालन दक्षिण) राजेश कुमार ठाकुर, एसई ऑप्रेशन (सोलन) इंजीनियर अनूप धीमान व चीफ इंजीनियर (कमर्शियल) वाईआर शर्मा, मेसर्स गिलवर्ट इस्पात प्राइवेट लिमिटेड बरोटीवाला के निदेशक अभिन मोदगिल और उमेश मोदगिल सहित बोर्ड के कुछ अज्ञात अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम एवं अन्य विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।
बिना बकाया राशि जमा करवाए ही बहाल कर दी कंपनी की बिजली
प्रारंभिक जांच में पाया गया कि उक्त निजी कंपनी को बिना बकाया राशि जमा करवाए ही बिजली की आपूर्ति फिर से बहाल कर दी। यह प्रक्रिया नियमों को ताक पर रखकर एक ही दिन में जल्दबाजी में पूरी की गई। कथित आरोप है कि विद्युत उपमंडल बरोटीवाला कार्यालय द्वारा खातों तक का मिलान नहीं किया गया। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अक्तूबर, 2012 में कंपनी की बिजली आपूर्ति बहाली स्वीकृति प्राप्त किए बिना ही दे दी गई थी जबकि कई करोड़ रुपए का बकाया उस पर था और 26 लाख रुपए की बैंक गारंटी पहले ही निर्धारित की जा चुकी थी, लेकिन प्रस्तुत नहीं की गई थी। ऐसे में विजिलैंस द्वारा केस दर्ज किए जाने से राज्य बिजली बोर्ड में हड़कंप मच गया है। शिकायत के अनुसार सप्लाई कोड 2009 की धारा 7.2.1 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन कर कंपनी को अनुचित लाभ दिया गया।
चैक हुआ बाऊंस, नियमों का नहीं हुआ पालन
सूचना के अनुसार बिल की राशि ज्यादा होने पर बोर्ड अधिकारियों ने कंपनी का बिल एक साथ लेने के बजाय इंस्टॉलमैंट में कर दिया। इसके बाद कंपनी ने बिल का भुगतान चैक के माध्यम से शुरू किया, लेकिन बाद में चैक भी बाऊंस हो गया। नियमों के तहत यदि किसी पक्ष के चैक अस्वीकृत हो जाते हैं तो उनका भुगतान आगामी 6 माह तक केवल नकद या डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से ही स्वीकार किया जाना चाहिए लेकिन उक्त मामले में इन निर्देशों का पालन नहीं हुआ है।
तत्कालीन सीएमडी ने निर्देशों को किया नजरअंदाज
सूचना के अनुसार बोर्ड के तत्कालीन सीएमडी ने भी बकाया राशि की वसूली बिना 6 अक्तूबर 2012 को दो बार पुन: कनैक्शन के लिए अंतिम मंजूरी दी और एचपीईआरसी आपूर्ति कोड और बिक्री मैनुअल के तहत अनिवार्य निर्देशों काे नजरअंदाज किया। साथ ही तत्कालीन निदेशक (तकनीकी) ने भी कोई आपत्ति नहीं उठाई।
मार्च माह में शिकायत, अब केस दर्ज
बीते मार्च महीने में बिजली बोर्ड के चेयरमैन संजय गुप्ता ने अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग को इस मामले की शिकायत भेजी थी। ऐसे में गृह विभाग की तरफ से मामला विजीलेंस को भेजा गया। विजीलैंस ने इसकी प्रारंभिक जांच शुरू की, जिसके अनियमितताओं के तथ्य पाए जाने पर एफआईआर दर्ज कर दी गई है। इसी कड़ी में अब जल्द ही जांच दायरे में आने वाले चेहरों से पूछताछ का दौर शुरू होगा।