Himachal: 3 माह से वेतन और 11 माह से नहीं मिला फंड, मोबाइल वैटर्नरी यूनिट कर्मियाें ने शुरू की हड़ताल

punjabkesari.in Saturday, Oct 04, 2025 - 11:49 AM (IST)

शिमला (याेगराज): प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पशु स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली मोबाइल वैटर्नरी यूनिट सेवाएं गंभीर संकट में हैं। योजना के तहत कार्यरत डॉक्टर, पैरावेट, ड्राइवर और प्रबंधन स्टाफ को पिछले 3 माह से वेतन नहीं मिला है, जबकि सरकार की ओर से बीते 11 माह से संचालन फंड भी जारी नहीं किया गया है। इस दोहरी मार से त्रस्त कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है, जिससे प्रदेशभर में पशु चिकित्सा सेवाएं ठप्प होने की कगार पर हैं।

17 सितम्बर तक बिना वेतन के दीं सेवाएं 
जानकारी के अनुसार प्रदेशभर में मोबाइल वैटर्नरी यूनिट्स में 44 डॉक्टर, 44 पैरावेट और 44 ड्राइवर फील्ड में कार्यरत हैं। इसके अलावा कुछ कर्मचारी मुख्यालय में तैनात हैं। इन सभी कर्मचारियों ने किसानों और पशुपालकों की दिक्कतों को देखते हुए 17 सितम्बर तक बिना वेतन के भी अपनी सेवाएं जारी रखीं, लेकिन जब सरकार और संबंधित विभाग की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई, तो उन्हें मजबूरन हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा।

घर का खर्च चलाना हुआ मुश्किल
हड़ताल पर गए कर्मचारियों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि उनमें से अधिकांश साधारण और मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं। 3 महीने से वेतन न मिलने के कारण घर का खर्च चलाना असंभव हो गया है। कई कर्मचारी अपने गृह जिलों से दूर तैनात हैं, जिससे उन पर आर्थिक बोझ और भी बढ़ गया है। वहीं फंड की कमी के कारण गाड़ियों के रखरखाव और दवाइयों की आपूर्ति पर भी गहरा असर पड़ रहा है।

सरकार से प्रमुख मांगें
कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर स्पष्ट रुख अपनाया है। उनकी मांग है कि 3 माह से रुके हुए वेतन को तुरंत जारी किया जाए। पिछले 11 माह से रुके हुए ऑप्रेशनल फंड को तत्काल रिलीज किया जाए। सभी कर्मचारियों को नियमानुसार वार्षिक इंक्रीमैंंट दिया जाए।  केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार अन्य राज्यों की तरह वेतनमान में संशोधन किया जाए।

आंदोलन किसी विशेष सुविधा के लिए नहीं
कर्मचारियों का कहना है कि यह आंदोलन किसी विशेष सुविधा के लिए नहीं, बल्कि उनके न्यायोचित अधिकार और काम की स्थिरता के लिए है। उन्होंने सरकार से इस संवेदनशील मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की अपील की है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ पशुपालकों को नुक्सान न हो और उनकी सेवाएं फिर से बहाल हो सकें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Related News