घर बनाने से पहले अब लेनी होगी इनकी राय, जानिए वजह

punjabkesari.in Monday, Feb 06, 2017 - 11:14 AM (IST)

शिमला: भवन बनाने के लिए अब आपको इनकी राय लेना अनिवार्य है। भवन मालिक आर्कीटैक्ट इंजीनियर की राय तो ले लेते हैं लेकिन स्ट्रक्चरल इंजीनियर से संपर्क तक नहीं करते। भवनों को रेट्रोफिटिंग (भूकंपरोधी तकनीक) के जरिए सुरक्षित बनाया जा सकता है जिसके लिए स्ट्रक्चरल इंजीनियर को पूछना लाभप्रद रहता है। यह जानकारी शिमला में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण शिमला द्वारा आयोजित अभियंता और राजमिस्त्रियों के लिए 2 दिवसीय प्रशिक्षण तथा संवेदीकरण कार्यक्रम के दौरान (नैशनल इस्टीच्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी) एन.आई.टी. हमीरपुर से आए सहायक आचार्य डा. हेमंत कुमार विनायक ने दी।


कार्यक्रम के पहले दिन प्रदेश भर से आए मिस्त्रियों ने लिया भाग
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि भवन मालिक केवल नुक्सान होने के बाद ही सोचता है जबकि भवन निर्माण कार्य करने से पहले वह केवल नक्शा और वस्तु स्थिति तक ही सीमित रह जाता है। एक बार भवन में दरार या सीलन इत्यादि समस्या पेश आती है तो उन्हें दुरुस्त करने में काफी मुश्किल होती है। बचत भवन में आयोजित 2 दिवसीय प्रशिक्षण तथा संवेदीकरण कार्यक्रम का रविवार को समापन हुआ। कार्यक्रम के पहले दिन अभियंताओं को तथा दूसरे एवं अंतिम दिन राजमिस्त्रियों के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इसमें प्रदेश भर से आए मिस्त्रियों ने भाग लिया। इस दौरान डा. हेमंत ने राजमिस्त्रियों को भवन में सरिए के रिंग, निर्माण कार्य के दौरान सावधानी, डी.पी.सी., बीम, ड्रेनेज व्यवस्था, स्लैब पर क्रैक संंबंधी, स्तंभ, सीढ़ियों सहित कई जानकारियां दीं। 


कुछेक राजमिस्त्रियों ने रखे अपने विचार
उन्होंने बताया कि भवन भूकंपरोधी बनाना हो तो वह भारत मानक के आधार पर ही बनाना चाहिए। भारत मानक के अनुसार अब मसाले की रेशो के अलावा कई निर्माण कार्य में संशोधन किया गया है। मिस्त्रियों को भी अब इस संशोधन के अनुसार ही भवन का निर्माण कार्य करना चाहिए। डा. हेमंत ने प्रैजैंटेशन के माध्यम से राजमिस्त्रियों को जागरूक किया। इस दौरान कुछेक राजमिस्त्रियों ने अपने विचार रखे। डा. हेमंत ने यह भी बताया कि प्रदेश में कई भवन ऐसे हैं जिनके पीछे ढलान वाली जगह है। बावजूद इसके भवन मालिक वहां पर डंगा लगाना मुनासिब नहीं समझते। ऐसे में यह जगह भवन पर खिसकती है और हादसा होने से नहीं टलता।


मकान बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान
भूकंपरोधी भवन बनाना है तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, उनमें लकड़ी के खिड़की, दरवाजे भारतीय मानक के अनुसार चयन करें, लगवाएं एवं रखरखाव करें, चिनाई वाली इमारतों में तारों को दीवारों के अंदर झिरी बना कर डालें, अलमारी दीवारों एवं जमीन के साथ जोड़कर रखें, स्कूलों में कम से कम अनुपयोगी सामान रखें, दो इमारतों के बीच कम से कम 2 इंच की दूरी रखें, फर्श को चौखटे बनाकर निर्माण करें, आर.सी.सी. खंभे एवं दीवार के बीच खांचा छोड़ें, स्लैब के बीच में बीम डालकर पर्याप्त कठोरता प्रदान करें, दीवार एवं बीम अंतर को कमजोर मोटे मसाले से भरें, दीवार के बाहरी हिस्से को सीमैंट व रेत के 1:4 के अनुपात में मिश्रण से प्लास्टर करें, सरल योजना वाली इमारतें बनाएं, छत की सही ढाल रखें, भारतीय मानक के अनुसार इमारतों में भूकंपीय पट्टी-कुर्सी (प्लिंथ), देहली (सिल), सदरल (लिंटल) एवं ढलान वाली छत में छत पट्टी का प्रावधान रखें, फ्लैशिंग प्रणाली को हमेशा दुरुस्त रखें, जल निकासी के लिए हमेशा नाली प्रदान करें और दीवार से नल को उचित दूरी पर लगाएं सहित कई बातों का भूकंपरोधी भवन बनाने के लिए ध्यान में रखना जरूरी है।


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