शीतकालीन सत्र से पहले धर्मशाला पहुंचे बिंदल, खामियां देख पूरा स्टाफ किया शिमला तलब(Video)

punjabkesari.in Tuesday, Dec 04, 2018 - 02:26 PM (IST)

धर्मशाला (जिनेश): विधानसभा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल धर्मशाला में शीतकालीन सत्र से पहले की तैयारियों का जायजा लेने मंगलवार को सुबह-सवेरे तपोवन पहुंचे। इस दौरान विधानसभा परिसर में खामियों के उजागर होने पर बिंदल बेहद नाराज दिखे। उन्होंने स्टाफ को जमकर फटकार लगाई और तमाम स्टाफ को शिमला तलब किया। दरअसल राजीव बिंदल यहां शीतकालीन सत्र से पहले सुरक्षा समेत हर पहलू की जांच की और यहां हर एक कमरों का निरीक्षण किया।
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विधानसभा का सत्र 10 से 15 दिसंबर तक

तपोवन में विधानसभा का सत्र 10 से 15 दिसंबर तक होना है। विधानसभा परिसर का निरिक्षण करने के बाद बिंदल ने डीआरडीए हाल धर्मशाला में विधानसभा के शीतकालीन सत्र कि व्यवस्थाओं के बारे में जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और उन्हें समय रहते सभी तैयारियों को पूरा करने के दिशा निर्देश दिए। तैयारियों से असंतुष्ट दिखे विधानसभा अध्यक्ष डॉ बिंदल 9 दिसंबर को एक बार फिर विधानसभा परिसर का निरिक्षण करेंगे।
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विधानसभा सत्र को लेकर विधायकों में भारी उत्साह

विधानसभा अध्यक्ष ने निरिक्षण करने के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि धर्मशाला में आयोजित 6 दिनों के शीतकालीन सत्र में कई महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र को लेकर विधायकों में भारी उत्साह है और विधायकों द्वारा काफी अधिक मात्रा में प्रश्न लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस बार इन 6 दिनों में कुल 437 प्रश्न लगाए गए हैं जिसमें से 344 तारांकित एवं 93 अतारांकित प्रश्न होंगे। उन्होंने कहा कि विधायकों ने अनेक मुद्दों पर चर्चा मांगी है जिसमें नियम 101,130,162 व 163 के तहत चर्चा की मांग की गई है।
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सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों विधानसभा के लिए महत्वपूर्ण

उन्होंने कहा कि सब लोग जागरूक हुए हैं और वह प्रश्नों के माध्यम से अपनी बात सरकार के समक्ष रखना चाहते हैं। अध्यक्ष ने कहा कि शीतकालीन सत्र अच्छे से हो इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि हर वर्ष की तरह लोकतंत्र का यह मंदिर अपने पूरे यौवन पर दिखाई देगा। बिंदल ने कहा कि सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों विधानसभा के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष और विधायकगणों के लिए अपनी बात रखने का यह मंदिर है और सरकार का यह दायित्व है कि वह उनके प्रश्नों व चर्चाओं का उत्तर दें। उन्होंने कहा कि दोनों को सजग रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष अपनी आवाज को नियमों की परिधि में बुलंद करे और सरकार उसका माकूल उत्तर दें।
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Ekta

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