19.50 करोड़ के ऋण फर्जीवाड़े में कांगड़ा बैंक के 4 पूर्व डायरैक्टर गिरफ्तार
punjabkesari.in Sunday, Mar 20, 2022 - 10:12 PM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र): कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक की अम्ब स्थित शाखा में हुए 19.50 करोड़ रुपए के ऋण फर्जीवाड़े में विजीलैंस एवं एंटी करप्शन ब्यूरो ने कांगड़ा बैंक के 4 पूर्व डायरैक्टर्स को गिरफ्तार किया है। उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद कांगड़ा बैंक के पूर्व डायरैक्टर एवं ऋण कमेटी के सदस्य रहे योगराज निवासी गांव बीटन हरोली, लेखराज वासी डाडासीबा जिला कांगड़ा, प्रकाश चंद गांव सलोह बेरी जिला ऊना तथा करनैल राणा निवासी नूरपुर को आईपीसी की धारा 467, 468, 471, 201 आईपीसी के तहत गिरफ्तार किया है। अब विजीलैंस एवं एंटी करप्शन ब्यूरो इन सभी पूर्व निदेशकों से इस ऋण फर्जीवाड़े के मामले में विस्तृत पूछताछ करेगी।
विजीलैंस एवं एंटी करप्शन ब्यूरो ने चारों को गिरफ्तार करने की पुष्टि की है। ब्यूरो का कहना है कि जमानत याचिका खारिज होने के बाद इन्होंने सरैंडर किया था और उसके बाद यह कार्रवाई की गई है। उधर, कांगड़ा बैंक में हुए फर्जीवाड़े में फगवाड़ा की फर्म के डायरैक्टरों को पकड़ने के लिए विजीलैंस की विभिन्न टीमें पंजाब के विभिन्न शहरों में छापेमारी अभियान चलाए हुए हैं। फर्म का मुखिया पहले ही ईडी की हिरासत में है जबकि उसके पारिवारिक सदस्यों तथा कंपनी के डायरैक्टर्ज को पकड़ने के लिए विजीलैंस लगातार छापेमारी अभियान चलाए हुए है।
यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया था, जब इसकी जांच शुरू हुई। फगवाड़ा की एक फर्म ने उपमंडल अम्ब में पंजीकरण के बाद साढ़े 19 करोड़ रुपए के ऋण के लिए आवेदन किया था। इसमें से 4.50 करोड़ टर्म लोन तथा 15 करोड़ रुपए की सीसीएल थी। जब फर्म ने आवेदन किया तो कांगड़ा केंद्रीय बैंक की तत्कालीन कमेटी ने ऋण पर आपत्ति जाहिर की थी और हवाला दिया गया कि उसकी संपत्तियां दूसरे राज्य में हैं, ऐसे में ऋण आबंटन उचित नहीं है। इसके बाद कांगड़ा बैंक के तत्कालीन प्रबंधक ने नाबार्ड की कंसल्टैंसी नेब डॉट कॉम को मामला भेजा और सिफारिश की कि फर्म के पास पर्याप्त प्रॉपर्टी है और ऋण दिया जा सकता है। इस आधार पर फर्म को पहली किस्त जारी की गई।
वर्ष 2015 में लगभग पौने 2 करोड़ रुपए की राशि एक ईंट भट्ठा तथा कंपनी के खाते में फर्म ने ट्रांसफर कर दी। उन फर्मों से राशि निकाली गई और उन कंपनियों को बंद कर दिया गया। इस मामले में बैंक के अधिकारी ने जब मौके पर निरीक्षण किया तो पाया न तो पहली किस्त के बाद उद्योग का ढांचा विकसित हुआ और न ही कार्य हुआ है। बैंक मैनेजर ने दूसरी किस्त न देने के बारे में रिपोर्ट दी लेकिन इसके बावजूद फगवाड़ा की इस फर्म को राशि की दूसरी किस्त भी जारी कर दी गई। जांच में पाया गया कि फगवाड़ा की जिस कंपनी ने ऋण लिया था, उसने उद्योग स्थापित करने के लिए जो सामान जिला ऊना में फैक्टरी स्थल के लिए भेजा दर्शाया गया था, उनमें अधिकतर नंबर दोपहिया वाहनों के पाए गए थे।
इस सनसनीखेज मामले में आने वाले दिनों में बड़े खुलासे होंगे। कई लोग चपेट में आएंगे। इस ऋण फर्जीवाड़े में 12 लोगों के नाम अब तक विजीलैंस में बतौर आरोपी दर्ज किए जा चुके हैं जबकि जो फर्में बनाई गई थीं, उनके डायरैक्टर्ज की सूची ली जा रही है। आरोपियों की संख्या और बढ़ेगी। इस ऋण फर्जीवाड़े में मुख्य आरोपी फर्म मालिक फगवाड़ा विक्रम सेठ उनके साथ उनकी पत्नी सुनीता सेठ फगवाड़ा, चेतन नेगी लुधियाना तथा शिवम सेठ शामिल हैं। इनमें से एक मुख्य आरोपी अभी ईडी की कस्टडी में है जबकि 3 फरार बताए जा रहे हैं।
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