सालों से पुरानी इमारत में चल रहा था रेशम केंद्र, अब नसीब होगा अपना भवन

punjabkesari.in Wednesday, Oct 23, 2019 - 10:45 AM (IST)

कुनिहार (नेगी) : राजकीय सेरी कल्चर (रेशम) केंद्र कुनिहार को करीब 22 वर्षों बाद अपनी इमारत नसीब होगी। विभाग को चौकी रेरिंग सैंटर बनाए जाने के लिए कुछ माह पूर्व करीब 10 लाख रुपए की स्वीकृति भी मिल चुकी थी। इसके चलते विभागीय इमारत बनाए जाने के लिए कुनिहार-शिमला मुख्य मार्ग तालाब के समीप सरकारी भूमि का चयन कर निर्माण कार्य शुरू करवा दिया था। वर्तमान में इमारत संबंधित निर्माण कार्य लगभग पूर्ण होने को है, जिसके चलते रेशम विभाग से जुड़े किसानों को आशा बंध गई है कि शीघ्र विभागीय इमारत बनकर तैयार हो जाएगी।

इसी विषय बारे रेशम निरीक्षक रेशम विभाग कुनिहार टैहल दास ने कहा कि रेशम रेरिंग सैंटर बनाए जाने के लिए करीब 10 लाख रुपए की स्वीकृत आई थी व कुनिहार-शिमला मार्ग के तालाब के समीप विभागीय इमारत निर्माण कार्य प्रगति पर है व बहुत शीघ्र इमारत बनकर तैयार हो जाएगी। उन्होंने कहा कि काफी वर्षों से यह केंद्र विकास खंड कुनिहार की पुरानी इमारत में चल रहा है। 

विकास खंड कुनिहार की पुरानी इमारत में 1997 से चलाया जा रहा रेशम केंद्र

राजकीय सेरी कल्चर (रेशम) केंद्र कुनिहार काफी वर्षों से किराए के भवन में चल रहा था। तत्पश्चात वर्ष 1997-98 के करीब विकास खंड कार्यालय कुनिहार की खाली पड़ी पुरानी इमारत में उक्त केंद्र चलाया जाने लगा। उस समय केंद्र से मात्र 40-50 कीट पालक ही जुड़ पाए थे। समय के साथ-साथ लाभान्वितों की संख्या बढ़ गई व किसानों का रुझान रेशम कीट पालन की ओर बढ़ने लगा। वर्तमान में उक्त विभाग के साथ ब्लॉक कुनिहार के लगभग 250 से अधिक कीट पालक जुड़ चुके हैं।

पुरानी इमारत के चलते चौकी रेरिंग करने में आ रही परेशानी

विकास खंड कुनिहार की पुरानी इमारत में स्थापित इस रेशम केंद्र को चलाए जाने में विभाग को भी काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। जिस पुरानी इमारत में यह केंद्र चल रहा है, उसमें रेशम कीट पालन व चौकी रेरिंग करने में उपयुक्त तापमान ही नहीं बन पाता क्योंकि पुरानी इमारत होने के कारण इसकी छत टीन की व दीवारें मिट्टी की हैं। खिड़कियां-दरवाजे भी उपयुक्त अवस्था में नहीं हैं। भारी बरसात के चलते कई जगह से पानी भी टपकने लग जाता है। 

रेशम केंद्र बना स्वरोजगार का साधन

सेरी कल्चर (रेशम) कुनिहार केन्द्र में वर्ष में 2 बार रेशम किट पालन चलाया जाता है, जिससे लोगों को स्वरोजगार मुहैया हो रहा है। समय-समय पर किसानों को शहतूत के पौधे, प्रूनिंग सीजर व रेरिंग स्टैंड आदि वितरित किए जाते हैं। गत वर्ष उक्त केन्द्र में लगभग 250 किलोग्राम रेशम तैयार किया गया था। विभाग का आगामी लक्ष्य लगभग 650 किलोग्राम रेशम तैयार करना रखा है।


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Edited By

Simpy Khanna

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