Shimla: संजौली मस्जिद को गिराने के आदेश, निचली दो मंजिलें भी अवैध करार

punjabkesari.in Saturday, May 03, 2025 - 09:43 PM (IST)

शिमला (वंदना): राजधानी शिमला की विवादित संजौली मस्जिद को गिराने के आदेश नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने दिए हैं। शनिवार को अवैध निर्माण मामले को लेकर आयुक्त कोर्ट में सुनवाई हुई। एमसी कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मस्जिद की निचली दो मंजिलों को भी अवैध करार देते हुए इसे तोड़ने के आदेश जारी किए हैं, ऐसे में संजौली में बनी पांच मंजिला मस्जिद पूरी तरह से अवैध करार कर दी गई है। इससे पहले नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने बीते साल 5 अक्तूबर को संजौली मस्जिद की तीन मंजिलों को अवैध करार देते हुए इसे तोड़ने के आदेश दिए थे, साथ वक्फ बोर्ड को निचली दो मंजिलों की वैधता साबित करने के लिए राजस्व रिकार्ड पेश करने के आदेश दिए थे। इसी के तहत शनिवार को मामले पर सुनवाई की गई।

कोर्ट ने निचली दो मंजिलों के राजस्व रिकार्ड को लेकर जवाब देने के दिए कहा था। शनिवार को वक्फ बोर्ड सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक को लेकर दस्तावेज पेश नहीं कर पाया है। 2010 में बिना अनुमति के अवैध तरीके से मस्जिद का निर्माण किया गया था। मस्जिद की जमीन की मालिक हिमाचल प्रदेश सरकार है। हालांकि बोर्ड दावा कर रहा था कि निचली दो मंजिलें पुरानी हैं और यह बोर्ड की जमीन पर बनी हुई है, लेकिन कोर्ट में वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी इससे जुड़ा दस्तावेज पेश नहीं किया गया। इसके बाद शनिवार को निचली दो मंजिलों को अवैध करार देते हुए इन्हें भी गिराने के आदेश जारी किए गए हैं। संजौली के रैजीडैंट वैल्फेयर सोसायटी के अधिवक्ता जगत पाल ने कोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि नगर निगम आयुक्त ने निचली 2 मंजिलों को अवैध करार देते हुए गिराने के आदेश दिए हैं।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को 3 मई तक राजस्व रिकार्ड पेश करने व अवैध निर्माण तोड़ने को लेकर जवाब देने को कहा था। इसी के तहत शनिवार को सुनवाई हुई। उन्होंने कहा कि प्रदेश हाईकोर्ट ने भी छह सप्ताह के भीतर इस मामले का निपटारा करने के आदेश दिए हैं, जिसकी समय अवधि 8 मई को खत्म हो रही है, लेकिन इससे पहले ही नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने अंतिम आदेश पारित कर दिए हैं। 15 साल बाद इस मामले पर बड़ा फैसला कोर्ट ने सुनाया है। मस्जिद पूरी तरह से बिना अनुमति अवैध तरीके से सरकारी जमीन पर बनाई गई है, जिसे अब गिराया जाएगा।

संजौली मस्जिद अवैध निर्माण पर फैसला आने में लग गए 15 साल, 2010 में शुरू हुआ था निर्माण
संजौली में साल 2010 में मस्जिद का अवैध निर्माण शुरू हुआ। नगर निगम के पास मस्जिद कमेटी की ओर से मस्जिद के नक्शे को लेकर आवेदन नहीं किया गया। बिना अनुमति ही इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। 2010 में पहला नोटिस नगर निगम ने सलीम के नाम पर जारी किया था। 2012 तक मस्जिद की केवल दो ही फ्लोर बने थे, जो साल 2018 तक पांच मंजिल तक हो गई। इसका नक्शा भी नगर निगम से पास नहीं करवाया गया है। अवैध निर्माण के इस मामले पर फैसला आते 15 साल लग गए। नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने अवैध निर्माण गिराने को लेकर 15 साल बाद इस पर फैसला सुनाया है।

15 साल से नगर निगम से गारबेज और टैक्स की एनओसी तक नहीं ले पाया वक्फ बोर्ड
संजौली मस्जिद की जमीन को लेकर मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड अपना मालिकाना हक साबित नहीं कर पाए हैं। यही नहीं नगर निगम से 15 साल में मस्जिद कमेटी कभी गारबेज और प्रापर्टी टैक्स की एनओसी तक भी नहीं ले पाए हैं। राजस्व दस्तावेजों के साथ-साथ नगर निगम से गारबेज और प्रापर्टी टैक्स की एनओसी लेना अनिवार्य होता है, लेकिन इतने वर्षों में कमेटी इसे भी निगम से प्राप्त नहीं कर पाई है। संजौली के रैजीडैंट वैल्फेयर सोसायटी के अधिवक्ता जगत पाल ने बताया कि वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी इतने वर्षों से एमसी से टैक्स और गारबेज की एनओसी तक नहीं ले पाए हैं।
 


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Content Writer

Kuldeep

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