जल विद्युत उत्पादन कंपनियों पर जल उपकर लगाना असंवैधानिक : हाईकोर्ट

punjabkesari.in Tuesday, Mar 05, 2024 - 11:11 PM (IST)

शिमला (प.स./मनोहर): हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने जल विद्युत उत्पादन पर राज्य सरकार द्वारा लगाए गए जल उपकर को मंगलवार को असंवैधानिक घोषित कर दिया। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की एक खंडपीठ ने हिमाचल प्रदेश जल विद्युत उत्पादन पर जल उपकर अधिनियम, 2023 को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि ऐसे कानून बनाना राज्य सरकार की शक्ति से परे है। निजी बिजली उत्पादक कंपनियों और केंद्रीय जलविद्युत उत्पादक उपक्रमों द्वारा दायर 40 याचिकाओं का निस्तारण करते हुए, पीठ ने हिमाचल प्रदेश जल विद्युत उत्पादन पर जल उपकर नियम, 2023 को भी रद्द कर दिया। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि हिमाचल प्रदेश जल विद्युत उत्पादन पर जल उपकर अधिनियम, 2023 की धारा 10 और 15 को असंवैधानिक घोषित किया जाता है और रद्द किया जाता है, जो मौजूदा परियोजनाओं पर लागू उपकर के भुगतान के निर्धारण और दायित्व से संबंधित है। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि अधिनियम के प्रावधानों के तहत याचिकाकर्ताओं से वसूल की गई धनराशि 5 मार्च से 4 सप्ताह के भीतर वापस की जानी चाहिए।

871 करोड़ का उपकर एकत्र : सरकार ने राज्य जल उपकर आयोग का गठन किया, जिसने 173 जलविद्युत उत्पादक कंपनियों को नोटिस जारी किया और मार्च से जुलाई 2023 तक 871 करोड़ रुपए का उपकर एकत्र किया गया। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने उपकर का भुगतान करने से इनकार कर दिया और उच्च न्यायालय का रुख किया। पंजाब और हरियाणा सरकारों ने भी जल उपकर लगाने का विरोध किया और इस संबंध में अपनी-अपनी विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित किए।

नोटिस भी रद्द
पीठ ने याचिकाकर्ताओं से जल उपकर की वसूली से संबंधित राज्य सरकार और जल आयोग द्वारा जारी पत्र और नोटिस को भी रद्द कर दिया। सत्ता में आने के दो महीने बाद, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार ने 15 फरवरी, 2023 को जल उपकर पर एक अध्यादेश जारी किया था। बाद में विधानसभा ने अध्यादेश की जगह लेने के लिए 16 मार्च, 2023 को हिमाचल प्रदेश जल विद्युत उत्पादन पर जल उपकर विधेयक पारित कर दिया।


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Content Writer

Kuldeep

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