Himachal: पंडोह डैम लकड़ी मामले की जांच CID को सौंपी
punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 04:17 PM (IST)

शिमला (भूपिन्द्र): गत माह बादल फटने की घटना के बाद पंडोह डैम में जमा हुई लकड़ी से संबंधित मामले का मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कड़ा संज्ञान लिया है। उन्होंने इस मामले की जांच आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को सौंपी है। पिछले सप्ताह बादल फटने की घटना और आस-पास के क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश के कारण पहाड़ियों से भारी मात्रा में लकड़ियां बहकर पंडोह डैम में एकत्रित हो गई थी। विपक्षी दल भाजपा सहित स्थानीय लोग इसपर लगातार सवाल उठा रहे थे। यह लोग विभागीय जांच पर भी सवाल खड़े कर रहे थे।
इसके बाद सरकार ने सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं। जांच में इतनी बड़ी मात्रा में लकड़ियां इकट्ठा होने के संभावित कारणों को सामने लाया जाएगा। इस दिशा में सरकार ने अब इस मामले की सीआईडी जांच का फैसला लिया है ताकि सभी जिम्मेदार लोगों को न्याय के दायरे में लाया जा सके। उन्होंने बताया कि बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं के दृष्टिगत प्रदेश सरकार की पहली प्रतिक्रिया अमूल्य जीवन बचाना और प्रभावितों को तत्काल बचाव और राहत उपलब्ध करवाना होता है।
सरकार द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए प्रभावी कार्य किए जा रहे हैं। नदी में बह रही लकड़ियां और पंडोह बांध में तैरती हुई लकड़ियों का वीडियो और तस्वीरें ऑनलाइन वायरल हुई हैं। इस विषय में लोगों की चिंता को देखते हुए निरंतर जांच की मांग की जा रही थी। इसके दृष्टिगत सीआईडी जांच का निर्णय लिया गया है। आपदा पीड़ित लोगों की सहायता में पूरा सरकारी तंत्र दिन-रात कार्य कर रहा है। वर्तमान प्रदेश सरकार हिमाचल को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है और इस लक्ष्य को हासिल करने में बाधा डालने वाले लोगों को कानून के दायरे में लाकर सजा दी जाएगी।
भाजपा ने दिया असंवेदनशीलता का परिचय : नरेश
मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने कहा कि संवेदनशील स्थिति में भी भाजपा ने असंवेदनशीलता का परिचय देते हुए इस मामले को उठाया। संकट के समय भाजपा नेता गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं, जो उनके दोहरे चेहरे को लोगों के सामने रख रहा है। पिछली भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान पेड़ों की अवैध कटाई के मुद्दे की कभी निष्पक्ष जांच नहीं करवाई और इस दौरान वनों के अवैध कटान के मामले में दोषियों की जवाबदेही को तय नहीं किया गया। उनके कार्यकाल के दौरान प्रदेश में वन माफिया फल-फूल रहा था।