अब प्राकृतिक कृषि के छात्र विदेश में कर पाएंगे अध्ययन

punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2019 - 10:23 AM (IST)

पालमपुर (भृगु) : भारतीय पारंपरिक प्राकृतिक कृषि से जुड़े छात्र अब विदेश में भी अध्ययन कर पाएंगे। वैज्ञानिकों को भी यह सुविधा प्राप्त होगी। देश में हिमाचल प्रदेश एकमात्र प्रदेश है जिसने प्राकृतिक कृषि को सैद्धांतिक रूप से अंगीकार कर धरातल पर उतारना आरंभ कर दिया है। ऐसे में अब छात्रों व वैज्ञानिकों को इससे जुड़े विश्वभर में हो रहे शोध कार्यों को जानने का अवसर मिलेगा। कृषि विश्वविद्यालय को प्राकृतिक कृषि एवं संरक्षित कृषि पर अब तक का सबसे बड़ा प्रोजैक्ट स्वीकृत हुआ है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कृषि विश्वविद्यालय को 22.66 करोड़ रुपए की परियोजना स्वीकृत हुई है। एडवांस कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना इस प्रोजैक्ट के अंतर्गत की जाएगी। छात्रों व वैज्ञानिकों को इस विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए देश-विदेश में उच्च स्तर पर इन विषयों पर किए जा रहे कार्यों का प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर भी प्राप्त होगा।

जानकारी अनुसार एक दर्जन वैज्ञानिक एक्सपोजर विजिट के अंतर्गत जबकि इस विषय के पीएच.डी. अध्येता लगभग 3 माह की अवधि तक विदेश में अध्ययन कर सकेंगे। इनका चयन मैरिट के आधार पर किया जाएगा, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर 10 एम.एस.सी. के विद्यार्थियों व 10 वैज्ञानिकों को भी प्रशिक्षण एक्सपोजर के लिए चयन किया जाएगा। इस परियोजना के अंतर्गत प्राकृतिक कृषि को लेकर वैज्ञानिक पैकेज एवं प्रैक्टिस तैयार करेंगे। कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने बताया कि विश्वविद्यालय को कड़ी प्रतिस्पर्धा के पश्चात यह योजना स्वीकृत हुई है जिसके अंतर्गत प्रदेश में प्राकृतिक एवं संरक्षित कृषि के क्षेत्र में कार्य किया जाएगा, वहीं छात्रों व वैज्ञानिकों को भी विश्वभर में हो रहे उत्कृष्ट कार्यों को जानने का अवसर प्राप्त होगा।

9 विदेशी छात्रों सहित 496 विद्यार्थियों ने लिया प्रवेश

वर्तमान शैक्षणिक सत्र में 6 विभिन्न देशों के 9 विदेशी छात्र विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करेंगे। इस वर्ष कृषि विश्वविद्यालय में स्नातक से लेकर पीएच.डी. तक के विभिन्न पाठ्यक्रमों में कुल 496 विद्याॢथयों ने प्रवेश लिया है, इनमें से अधिकांश छात्राएं हैं। कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने बताया कि इस वर्ष विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या अध्ययनरत कुल विद्यार्थियों की संख्या का 30 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि वैटर्नरी, एग्रीकल्चर तथा फूड टैक्नोलॉजी में कश्मीरी विस्थापितों के लिए आरक्षित सीटों को छोड़कर अन्य सभी सीटों को भर लिया गया है।


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Edited By

Simpy Khanna

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