लामा वांगडोर रिम्पोंछे ने ली समाधि, 5 दिन बाद भी सलामत है शव (Video)

punjabkesari.in Monday, Sep 23, 2019 - 10:57 AM (IST)

रिवालसर (ब्यूरो): जिगर बौद्ध मंदिर रिवालसर के प्रमुख लामा वांगडोर रिम्पोंछे उर्फ ओंगदू 18 सितम्बर को प्रात: 2 बजकर 52 मिनट पर अपनी देह का त्याग कर समाधि में लीन हो गए हैं, जिसकी खबर फैलते ही देश-विदेश के साथ दूरदराज क्षेत्रों से लोग उनके अंतिम दर्शनों के लिए रिवालसर पहुंचने शुरू हो गए हैं तथा पूजा-पाठ कर रहे हैं।
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समाधि में लीन लामा के शरीर को बिना बर्फ के रखा हुआ है तथा शरीर पर किसी प्रकार के कैमिकल का लेप नहीं किया हुआ है, बावजूद इसके दर्शन करने वालों को ऐसा लगता है कि लामा जी अभी उठ खड़े हो जाएंगे। हैरानी की बात है कि लामा का शरीर बिल्कुल तरोताजा लगता है तथा उनके जिंदा होने का एहसास होता है। हालांकि उन्हें शरीर छोड़े हुए 5 दिन बीत चुके हैं।
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दाह संस्कार को लेकर जिगर मूर्ति बौद्ध मंदिर का कामकाज देख रहे याप मिनचुंग दोरजे व अनी केलसंग ने बताया कि लामा रिम्पोंछे का शरीर अपने आप जब तक दाह संस्कार का एहसास नहीं करवाएगा, (इजाजत नहीं देगा) तब तक पूजा-पाठ का क्रम चलता रहेगा तथा शरीर को इसी अवस्था में रखा जाएगा। उचित समय आने पर दाह संस्कार होगा।
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लामा वांगडोर रिम्पोंछे के जीवन के बारे में उनकी प्रिय शिष्य लीना जो अमरीका से है तथा लामा के देह त्याग के बाद रिवालसर आई हुई हैं, उन्होंने बताया कि लामा जी सिद्धपुरुष थे और उनका जन्म तिब्बत के खम प्रांत स्थित जिगर में 20 फरवरी, 1932 में हुआ था।
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लामा वांगडोर का सपना रिवालसर में बहुत बड़ा भव्य मंदिर व भगवान गुरु पद्मसंभव की मूर्ति बनाने का था, जिसको उन्होंने अपने जीवन काल में पूरा किया। मूर्ति पर करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते रहते हैं।
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वहीं नगर पंचायत के अध्यक्ष लाभ सिंह ठाकुर ने लामा वांगडोर रिम्पोंछे को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमने एक सच्चे संत को खो दिया है, जिनक कमी हमेश खलती रहेगी।


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Vijay

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