यहां ''टोपी'' तय करती है आपकी तकदीर, जानिए पवित्र झील के बीच बसे इस मंदिर की खासियत (PICS)

punjabkesari.in Wednesday, Aug 21, 2019 - 09:48 AM (IST)

किन्नौर: यूला कंडा में एक ऐसी प्राकृतिक झील है, जिसके बीचोंबीच भगवान श्रीकृष्ण का अद्भुत अति सुंदर मंदिर स्थित है। 12,778 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस पवित्र स्थान तक पहुंचने के लिए राष्ट्रीय उच्च मार्ग-5 पर टापरी या चोलिंग से यूला खास होते हुए 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। यूला तक 8 किलोमीटर वाहन से सफर करने के बाद 12 किलोमीटर पैदल रास्ता तय करने के बाद इस पवित्र स्थल पर पहुंचा जा सकता है।
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पवित्र झील के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों ने वनवास काल के समय किया था। झील के बीच स्थित श्रीकृष्ण मंदिर की खासियत यह है कि इसके हर धर्म के लोग दर्शन कर सकते हैं। जन्माष्टमी उत्सव का इतिहास बुशहर रियासत से भी जुड़ा है। मान्यता है कि तत्कालीन बुशहर रियासत के राजा केहरी सिंह के समय इस उत्सव को मनाने की परंपरा शुरू हुई थी। 
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24 को होगा यहां जन्माष्टमी पर्व

जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त के समय सुबह सारे गांववासी व दूरदराज से पहुंचे श्रद्धालु एक-दूसरे को ब्रह्मकमल सहित 18 रंगों के फूल बांटते हैं, साथ ही यहां मेला भी लगता है। राज्य स्तरीय इस उत्सव के लिए समस्त रस्म-रिवाजों व पूजा-पाठ की समाप्ति के पश्चात सभी श्रद्धालु प्रेमपूर्वक भजन-कीर्तन करते हुए वापस यूला ग्राम की तरफ लौट आते हैं। रंजीत नेगी बताते हैं कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 24 अगस्त को यूला कंडा में मनाए जाने वाले जन्माष्टमी पर्व की तैयारी पूरी कर ली गई है।
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यहां होता है रहने का प्रबंध

मंदिर के लगभग 2 किलोमीटर नीचे सराय है, जहां रात्रि के समय तीर्थ यात्री, श्रद्धालु व पर्यटक विश्राम करते हैं। यहां मंदिर कमेटी की तरफ से भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। बहुउद्देश्यीय सामाजिक कल्याण संघ बायूल यूला की तरफ से यहां टैंटिंग, होम स्टे व स्वास्थ्य सेवा इत्यादि मुहैया करवाई जाती है। यूला खास ग्राम वासियों ने एक बहुउद्देश्यीय सामाजिक कल्याण संघ नाम की संस्था बनाई है, जिसका मुख्य उद्देश्य यूला गांव से लेकर समस्त युवा कंडा को साफ-सुथरा बनाए रखना एवं प्राकृतिक संसाधनों को बचाए रखना है।
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टोपी तैरती रही तो समझो मनोकामना पूर्ण

मंदिर के ऊपर की तरफ  एक पवित्र जलधारा बहती है, जहां टोपियां तय करती हैं आपकी तकदीर। ऐसी मान्यता है कि किन्नौरी टोपी को उलटी करके उस जलधारा में बहने के लिए छोड़ दिया जाता है। अगर टोपी बिना डूबे तैरती हुई दूसरे छोर तक पहुंच जाती है तो समझो आपकी मनोकामना पूरी होगी और भाग्य आपका साथ देगा और अगर टोपी डूब गई तो मान्यता है कि आने वाला साल आपके लिए अच्छा नहीं है।
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इस घास पर चलने से होते हैं कई रोग दूर

पवित्र मंदिर से उत्तर-पूर्व की तरफ रोरा खास का एक विशाल मैदान है। मान्यता है कि इस मैदान में नंगे पांव चलने पर कहीं गर्मी तो कही ठंडक महसूस होती है, जो शरीर से कई प्रकार के रोगों को मिटाने का काम करता है। बताया जाता है कि पांडवों के वनवास काल के दौरान पांडवों ने यहां धान की खेती की थी, जिसके अवशेष आज भी यहां नजर आते हैं।
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