कार हादसे में क्लेम न देने पर बीमा कंपनी को 20.62 लाख रुपए देने के आदेश
punjabkesari.in Friday, Dec 23, 2022 - 11:56 PM (IST)

धर्मशाला (सचिन): जिला उपभोक्ता फोरम ने 4 अगल-अलग मामलों की सुनवाई करते हुए फैसले सुनाए हैं। पहले मामले में कार हादसे में चालक की मृत्यु होने व कार पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने के बाद बीमा कंपनी की ओर से प्रभावित परिवार को बीमा राशि न देने पर जिला उपभोक्ता फोरम ने कंपनी को प्रभावित परिवार को 15 लाख रुपए की राशि 9 प्रतिशत ब्याज समेत देने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा पीड़ित परिवार को उचित समय पर सेवा न देने, उनका व्यवसाय खराब होने और प्रभावितों को प्रताडि़त करने के लिए 5 लाख रुपए मुआवजा और 62 हजार रुपए अतिरिक्त जुर्माने के रूप में देने के आदेश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता सीमा देवी पत्नी किशन कुमार निवासी चौकी खलेट, पालमपुर ने अपनी शिकायत में कहा कि उनके बेटे ने एक कार खरीदी थी, जिसका नंबर एचपी-01-डी-8484 था। उनके बेटे ने कार की इंश्योरैंस चालक समेत करवाई हुई थी। 23 जनवरी, 2020 को एक सड़क हादसे में उनके बेटे की मृत्यु हो गई और कार पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। बाद में उन लोगों ने कार की इंश्योरैंस राशि लेने के लिए प्रक्रिया शुरू की। इसमें बीमा कंपनी के नियमों के हिसाब में उन्होंने सभी दस्तावेज पूरे दिए। दस्तावेज पूरे करने के बाद कंपनी के एजैंट के माध्यम से उन्होंने बीमा राशि क्लेम की। सभी दस्तावेज पूरे होने के बावजूद कंपनी की ओर से उनके आवेदन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
बाद में जब पता किया गया तो बीमा कंपनी प्रबंधन की ओर से उन्हें एक नोटिस प्राप्त हुआ। इस नोटिस में कहा गया था कि आपको बीमा राशि नहीं दी जा सकती है क्योंकि जब सड़क हादसा हुआ था, तब आप लोगों ने इस बारे में कंपनी को जानकारी नहीं दी थी। इसके अलावा ड्राइवर के बीमा का कवर भी इस बीमे में शामिल नहीं है। इसके बाद उन्होंने उपभोक्ता फोरम में इसकी शिकायत की। यहां सभी दस्तावेज पेश करने और उनकी जांच करने के बाद जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा, सदस्य आरती सूद व सदस्य नारायण ठाकुर ने बीमा कंपनी को 15 लाख रुपए की बीमा राशि 9 फीसद ब्याज समेत देने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा पीड़ित परिवार को उचित समय पर सेवा न देने, उनका व्यवसाय खराब होने और प्रभावितों को प्रताडि़त करने के लिए 5 लाख रुपए मुआवजा और 62 हजार रुपए अतिरिक्त जुर्माने के रूप में देने के आदेश दिए हैं।
नियमों के विपरीत काम करने पर फाइनांस कंपनी पीड़ित को देगी अढ़ाई लाख रुपए
दूसरे मामले में फाइनांस नियमों के विपरीत काम करने और ग्राहक को परेशान करने वाली कंपनी को जिला उपभोक्ता आयोग ने ब्याज सहित जुर्माने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा केस की एक अतिरिक्त पार्टी एवं व्यक्ति द्वारा गलत तरीके से ट्रक बेचने पर जुर्माने के आदेश दिए हैं। जानकारी के अनुसार शिकायतकत्र्ता मनोज कुमार पुत्र हरि सिंह निवासी बंडी तहसील धर्मशाला ने कहा कि उन्होंने 31 अक्तूबर, 2017 को कृष्ण लाल निवासी बग्गा सोलन से ट्रक (एचपी 64-बी-1067) खरीदा था। कृष्ण लाल ने एक बैंक से ट्रक को फाइनांस करवाया हुआ था, लेकिन उसने इसकी जानकारी न तो संबंधित बैंक और न ही खरीदार यानि मनोज कुमार को दी। मनोज कुमार ने हिंदूजा फाइनांस कंपनी से ट्रक को फाइनांस करने की बात कही, जिस पर उन्हें कंपनी ने भी नियमों के विपरीत पहले से ही फाइनांस हुए ट्रक को फिर से फाइनांस कर दिया।
जब मनोज कुमार द्वारा 2-3 किस्त नहीं दी जा सकीं तो कंपनी ने बिना कोई नोटिस जारी किए सीधे उनका ट्रक उठा लिया। बाद में जब फाइनांस को लेकर हुए झोल का पता चला तो पैसा लेने के बाद पहले वाले फाइनांस बैंक ने अपनी ओर से एनओसी जारी कर दी। ट्रक उठा ले जाने के बाद मनोज कुमार ने लंबित किस्त कंपनी को दे दी। जब मनोज कुमार अपना ट्रक लेने कंपनी के गोदाम में गए तो वहां गोदाम की पार्किंग फीस भी 50 हजार रुपए वसूल की गई। इससे परेशान होकर मनोज कुमार ने उपभोक्ता आयोग में इसकी शिकायत की। जिला उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा, सदस्य नारायण ठाकुर व सदस्य आरती सूद ने फाइनांस कंपनी को आदेश दिए कि मनोज कुमार को अढ़ाई लाख रुपए बतौर मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा गलत तरीके से ट्रक बेचने वाले कृष्ण लाल को 20 हजार रुपए जुर्माना, इसके अलावा केस की 7500 रुपए फीस देने के आदेश दिए हैं।
16 दिन में खराब हुआ मोबाइल, कंपनी को देने होंगे 1.6 लाख रुपए
तीसरे मामले में 16 दिन में सैमसंग का फोल्ड-2 फोन खराब होने पर सैमसंग इलैक्ट्रॉनिक्स को उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा, सदस्य आरती सूद व नारायण ठाकुर ने शिकायतकर्ता को 143000 रुपए 9 प्रतिशत ब्याज सहित देने के निर्देश व शिकायत का खर्चा 10000 व अन्य व्यय 7500 रुपए देने के निर्देश दिए। जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता अंतरिक्ष चौधरी निवासी ज्वाली जिला कांगड़ा ने ग्रोवर ब्रदर्स बस स्टैंड कांगड़ा व सैमसंग इंडिया इलैक्ट्रॉनिक्स के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायतकर्ता ने 19 अक्तूबर, 2020 को मोबाइल फोन फोल्ड-2 खरीदा था, जिसकी कीमत लगभग 143000 थी। मोबाइल का डिस्प्ले जो फोल्डेबल था, इसमें सैमसंग इलैक्ट्रॉनिक्स का दावा था कि दुनिया का सबसे अच्छा फोल्डेबल डिस्प्ले है और यह फोल्डिंग व अनफोल्डिंग से क्षतिग्रस्त नहीं हो सकता लेकिन खरीद के 16 दिन बाद ही मोबाइल डिवाइस मोड़ने और खोलने से क्षतिग्रस्त हो गया।
4 जून, 2022 को शिकायतकर्ता ने मामले की सूचना सेवा केंद्र की ओर से विपक्ष के कस्टमर केयर सैमसंग इलैक्ट्रॉनिक्स में दी। इसके बाद शिकायतकर्ता से उसकी मुरम्मत के लिए 55000 रुपए की मांग की गई। शिकायतकर्ता ने समय-समय पर मोबाइल फोन की जानकारी ईमेल व फोन से कंपनी को दी, लेकिन 15 जून, 2022 के बाद शिकायतकर्ता को पहली बार आश्वासन दिया गया व सेवा केंद्र जाने की सलाह दी गई। शिकायतकर्ता ने सेवा केंद्र का दौरा किया लेकिन वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी। इसके बाद शिकायतकर्ता को न्याय के लिए उपभोक्ता आयोग में आना पड़ा, जहां से शिकायतकर्ता को मुआवजा देने के निर्देश दिए गए। मुआवजा सैमसंग इलैक्ट्रॉनिक्स की ओर देने के आदेश हुए, जिसमें 143000 रुपए 9 प्रतिशत ब्याज सहित शिकायत की तारीख से वापस देने के आदेश व 10 हजार रुपए शिकायत का खर्चा व अन्य व्यय के रूप में 7500 रुपए वापस देने के निर्देश दिए गए हैं।
झूठा मामला दर्ज करने पर शिकायतकर्ता को 2000 रुपए देने के निर्देश
चौथे मामले में उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा व नारायण ठाकुर व आरती सूद द्वारा शिकायतकर्ता को 2000 रुपए देने के निर्देश दिए। शिकायतकर्ता ने 14 सितम्बर, 2021 को एमएस जय अंबे स्टील इंडस्ट्री अरला तह पालमपुर, जिला कांगड़ा से एक लैमिनेटेड बोर्ड वाली एक अलमारी खरीदी। शिकायतकर्ता ने 18500 रुपए वाला डिजाइन चयनित किया जिसमें से शिकायतकर्ता के अनुसार 16000 रुपए उसी दिन विरोधी पक्ष को दे दिए। विरोधी पक्ष ने शिकायतकर्ता को आश्वासन दिया कि वह अलमारी को उसके घर पर भिजवा देंगे। इसके बाद शिकायतकर्ता ने बाकी की शेष राशि 2500 रुपए अलमारी आने पर देने का वादा किया। शिकायतकर्ता ने अलमारी के डिलीवरी होने का इंतजार किया, साथ ही जय अंबे अरला को अलमारी की डिलीवरी समय पर करने को कहा परन्तु अलमारी न आने पर शिकायतकर्ता ने दूसरी दुकान से एक नई अलमारी की खरीद कर ली।
विरोधी पक्ष अपने राजेंद्र बिंद्रा शोरूम के मालिक द्वारा माना गया कि शिकायतकर्ता द्वारा के एक अलमारी को खरीदने का निर्णय किया गया था। परंतु शिकायतकर्ता द्वारा 10,000 रुपए ही एडवांस दिए गए थे व 6000 रुपए अलमारी की डिलीवरी के समय दिए जाने थे। विरोधी पक्ष द्वारा शिकायतकर्ता के खिलाफ सभी दस्तावेज कोर्ट में दिखाए गए जिससे पता लगा कि शिकायतकर्ता को अलमारी दे दी गई थी। शिकायतकर्ता ने झूठा व मनगढ़ंत आरोप लगाया है। उसने अदालत में झूठा मामला दर्ज किया, जिस कारण शिकायतकर्ता को उपभोक्ता आयोग ने 2000 रुपए देने के निर्देश दिए हैं।
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