NIOS का निदेशक (मूल्यांकन) रिकॉर्ड के साथ हाईकोर्ट तलब, जानिए क्या है मामला

punjabkesari.in Wednesday, Dec 21, 2022 - 12:11 AM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग पर फर्जी प्रमाणपत्र बांटने के आरोपों को देखते हुए इंस्टीच्यूट के निदेशक (मूल्यांकन) को तलब किया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने एनआईओएस को क्रमांक संख्या 190198056318 का तमाम रिकॉर्ड भी तलब किया है। मामले के अनुसार प्रार्थी सुनीता देवी ने पटवार सर्कल थाची में प्रतिवादी ऊषा देवी के बतौर पार्ट टाइम क्लास 4 चयन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। प्रार्थी का आरोप था कि प्रतिवादी ऊषा ने एनआईओएस से प्राप्त 10वीं का जो प्रमाणपत्र चयन कमेटी के समक्ष पेश किया था वो फर्जी था। कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए प्रतिवादी का चयन रद्द कर प्रार्थी को नियुक्ति देने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग के उक्त सर्टीफिकेट के जारी होने में संदेह जताते हुए उच्च शिक्षा निदेशक को मामले की छानबीन करने के आदेश दिए थे। इसके पश्चात कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशालय की जांच रिपोर्ट से असंतुष्ट होते हुए हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव को जांच करने के आदेश दिए थे। सचिव स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से दायर जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के पश्चात प्रदेश उच्च न्यायालय ने उपरोक्त आदेश पारित किए हैं।

लोगों की आवाजाही रोकने के मामले में दर्ज एफआईआर रद्द
प्रदेश हाईकोर्ट ने राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में करीब 4 साल पहले नगर निगम शिमला की कार्यप्रणाली के विरोध में चक्का जाम कर उच्च मार्ग पर लोगों की आवाजाही रोकने के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने प्रार्थी नरेश चौहान, अनिता ठाकुर, दिलशन, ममता ठाकुर, सोनिया चौहान और विनोद ठाकुर के खिलाफ  दर्ज प्राथमिकी को रद्द करते हुए कहा कि प्रार्थियों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है। पुलिस ऐसे साक्ष्य जुटाने में असफल रही, जिससे यह साबित हो सके कि प्रार्थियों ने किसी व्यक्ति विशेष की आवाजाही में कोई बाधा उत्पन्न की। मामले के अनुसार 4 जनवरी, 2019 को संजौली में हाटेश्वरी ज्वैलर्स के सामने नगर निगम के मुख्य भंडारण टैंक से रात को पानी ओवरफ्लो हो गया था। यह पानी नीचे सड़क के साथ दुकानों व घरों में घुस गया था। रात के समय हुई इस घटना से लोगों द्वारा निगम पर लाखों रुपए के नुक्सान के आरोप लगाए थे। इसके पश्चात प्रभावित लोगों ने नगर निगम के खिलाफ उच्च मार्ग संजौली पर धरना-प्रदर्शन भी किया। आरोप था कि चक्का जाम होने की वजह से संजौली में वाहनों का लंबा जाम लगा। निगम पर आरोप लगाए गए कि पानी से दुकानों में रखा सामान खराब हो गया। नाराज दुकानदारों व स्थानीय लोगों ने संजौली में करीब एक घंटे के लिए चक्का जाम भी किया। पुलिस द्वारा कड़ी मशक्कत के बाद जाम खुलवाया गया। पुलिस को बताया गया था कि करीब 8 दुकानदारों को पानी से नुक्सान हुआ। मामला इतना बिगड़ गया था कि एसडीएम को मौके पर पहुंचना पड़ा और व्यापारियों को शांत किया। इसके पश्चात पुलिस को मिली शिकायत के आधार पर उपरोक्त प्रार्थियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। इन प्रार्थियों ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई थी।

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Content Writer

Vijay

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