पशुपालन विभाग में 99.71 लाख के घोटाले में तत्कालीन कैशियर गिरफ्तार

punjabkesari.in Thursday, Jan 06, 2022 - 10:15 PM (IST)

सोलन (नरेश पाल): विजीलैंस ने उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय सोलन में 99.71 लाख रुपए के घोटाले के मामले में पहली गिरफ्तारी की है। कार्यालय में उस समय के कैशियर को गिरफ्तार किया गया है। हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत रद्द होने के बाद यह गिरफ्तारी हुई है। इस मामले में तत्कालीन 2 सहायक निदेशकों को अग्रिम जमानत मिल गई है। विजीलैंस ने इस मामले में 2 सहायक उपनिदेशकों सहित एक कैशियर के खिलाफ  मामला दर्ज किया था। कैग रिपोर्ट ने भी उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय सोलन में मार्च, 2016 से मार्च, 2018 के बीच हुए 99.71 लाख रुपए के घोटाले की परतें खोली थीं। पंजाब केसरी ने 25 मई, 2018 को इस घोटाले का पर्दाफाश किया था। कैग रिपोर्ट ने भी इस खबर पर अपनी मोहर लगा दी थी। मामला उजागर होने के बाद विभाग ने कैशियर सहित 4 अधिकारियों को निलम्बित कर दिया था, जिनके समय में यह घोटाला हुआ था।

मामले का खुलासा होने के बाद आरोपी ने जमा करवाए थे 57.93 लाख रुपए

मामले का खुलासा होने के बाद आरोपी कैशियर ने 57.93 लाख रुपए की राशि भी जमा कर दी थी और शेष राशि हर महीने उनके वेतन से जमा की जा रही है। शुरू में यह घोटाला 69 लाख रुपए का निकला था लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी तो यह घोटाला 99.71 लाख रुपए का हो गया। यह कृत्रिम गर्भाधान कार्टेशन व आयातित सीमन फीस व पशुचारे से संबंधित है। कैग रिपोर्ट में भी बताया गया था कि विभाग द्वारा मई, 2018 में की गई अपनी जांच में यह गबन 79.98 लाख रुपए बताया गया जबकि वास्तव में यह 99.71 लाख रुपए है। विजीलैंस इस मामले की जांच कर रही है। इसके अलावा विभागीय जांच भी जारी है। विभाग ने आरोपी कैशियर को डिमोट भी कर दिया है।  

ऐसे दिया गबन को अंजाम 

कैग रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय को कृत्रिम गर्भाधान कार्टेशन के शुल्क व आयातित सीमन की बिक्री व रजिस्ट्रेशन के शुल्क के रूप में मार्च, 2016 और मार्च, 2018 में 41.40 लाख रुपए प्राप्त हुए थे। कैश बुक में इसकी कोई एंट्री नहीं हुई। इसमें से 12.09 लाख रुपए सीधे लैंड डिवैल्पमैंट बैंक में जमा किए गए, जबकि 29.31 लाख की राशि किसी भी बैंक में जमा नहीं हुई। इस पर पर्दा डालने के लिए दूसरी स्कीम के 29.31 लाख रुपए उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय के बचत खाते से लैंड डिवैल्पमैंट बैंक को ट्रांसफर कर दिए। हैरानी की बात यह है कि इस पैसे की निकासी के कोई बिल रिकार्ड में ही नहीं हैं। इस तरह से कृत्रिम गर्भाधान कार्टेशन के शुल्क व आयातित सीमन की बिक्री व रजिस्ट्रेशन के शुल्क योजना में 29.31 लाख रुपए के गबन को अंजाम दिया गया। इस रिपोर्ट में अप्रैल, 2016 से जनवरी, 2018 के बीच उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय के बैंक खाते से 12 बार 50 लाख रुपए की निकासी की गई। इसमें इंडसइंड बैंक से 5 लाख और एस.बी.आई. से 45 लाख रुपए निकाले गए थे। 11 हजार से 9.50 लाख रुपए की राशि सैल्फ  चैक से निकाली गई थी। कैश बुक में न तो इसकी कोई एंट्री है और न ही इससे संबंधित कोई वाऊचर थे। इस तरह से 50 लाख रुपए का गबन किया गया। 

बैकयार्ड पोल्ट्री योजना में 10.61 लाख का घोटाला

बैकयार्ड पोल्ट्री योजना में भी 10.61 लाख रुपए का गबन हुआ है। लाभार्थियों की मांग पर केंद्रीय पोल्ट्री फार्म नाहन से चूजों की आपूर्ति हुई। 10.61 लाख रुपए में विभाग को प्राप्त हुए 9.25 लाख रुपए की रसीद जारी हुई, जबकि 24 मार्च, 2018 को प्राप्त हुए 1.36 लाख रुपए की कोई रसीद जारी नहीं हुई। यह पूरी राशि न तो कैश बुक में एंटर हुई और न ही बैंक में जमा हुई बल्कि कार्यालय के एसबीआई के बचत खाते से दूसरी योजना के 10.61 लाख रुपए केंद्रीय पोल्ट्री फार्म नाहन को ट्रांसफर कर दिए।

गर्भित पशु आहार योजना में भी 7.20 लाख का गबन 

गर्भित पशु आहार योजना में भी 7.20 लाख रुपए का गबन हुआ। इस योजना में 92 लाभार्थियों के 2.40 लाख रुपए वर्ष 2016-17 और 180 लाभार्थियों के 4.80 लाख रुपए वर्ष 2017-18 में प्राप्त हुए थे लेकिन यह राशि न तो कैश बुक में एंटर हुई और न ही कार्यालय के बैंक खाते में जमा हुई। कृषक बकरी योजना में लाभार्थियों द्वारा वर्ष 2017-18 में जमा किए गए अपने 2.58 लाख रुपए के शेयर न तो कैश बुक में एंटर हुए और न ही कार्यालय के बैंक खाते में जमा हुए। 

मामले में दो आरोपित अधिकारियों को अग्रिम जमानत

डीएसपी विजीलैंस सोलन श्वेता ठाकुर ने बताया कि उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय सोलन में 99.71 लाख रुपए के गबन के मामले में कैशियर को गिरफ्तार किया गया है। हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत रद्द होने के बाद यह गिरफ्तारी की गई है। इस मामले में दो आरोपित अधिकारियों को अग्रिम जमानत मिल गई है।

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Content Writer

Vijay

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