हिमाचल के पहाड़ों पर बर्फानी तेंदुओं की गिनती में बड़ा ''जंप'', 4 साल में बढ़ गए इतने तेंदुए

punjabkesari.in Friday, Oct 03, 2025 - 09:42 AM (IST)

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के लिए वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र से एक उत्साहजनक और ऐतिहासिक खबर सामने आई है। राज्य में बर्फीले पहाड़ों के इस दुर्लभ और मायावी जीव, हिम तेंदुए (स्नो लैपर्ड), के कुनबे में आश्चर्यजनक वृद्धि दर्ज की गई है। एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, अब राज्य में इनकी संख्या बढ़कर 83 हो गई है, जो कि चार वर्षों में 32 तेंदुओं की वृद्धि को दर्शाता है। इससे पहले, वर्ष 2021 में इनकी संख्या 51 थी। यह वृद्धि हिमाचल प्रदेश के संरक्षण प्रयासों की अभूतपूर्व सफलता को दर्शाती है।

वन्य प्राणी प्रभाग हिमाचल प्रदेश ने इस महत्वपूर्ण डेटा को संकलित करने के लिए नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन, बंगलूरू के साथ मिलकर 'स्टेटस ऑफ स्नो लैपर्ड इन हिमाचल' शीर्षक से एक विस्तृत अध्ययन किया। '74वें वन्य प्राणी सप्ताह' के शुभारंभ पर पीसीसीएफ अमिताभ गौतम द्वारा 'स्नो लैपर्ड इन हिमाचल प्रदेश-2025' पुस्तिका के विमोचन में इस वृद्धि का आधिकारिक उल्लेख किया गया।

प्रमुख सर्वेक्षण के आँकड़े और निष्कर्ष

यह व्यापक सर्वेक्षण 26,112 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में किया गया। इस दौरान कैमरा ट्रैप तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिसमें 44 हिम तेंदुए 262 बार कैमरे में कैद हुए। अध्ययन के मुताबिक, स्पीति की पिन घाटी, ऊपरी किन्नौर और ताबो क्षेत्र को इन शानदार जीवों के लिए सर्वाधिक घनत्व वाले क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है।

हिम तेंदुओं के अतिरिक्त, सर्वेक्षण में इस बर्फीले आवास में रहने वाली अन्य महत्वपूर्ण प्रजातियों जैसे नीली भेड़, हिमालयी आइबैक्स, कस्तूरी हिरण, हिमालयी भेड़िया, भूरा भालू, रेड फॉक्स, स्टोन मार्टन और माउंटेन वेसल की उपस्थिति भी दर्ज की गई।

नई प्रजातियों की पुष्टि और रिकॉर्ड-समय में सर्वे

इस सर्वेक्षण की एक और बड़ी उपलब्धि यह है कि इसने दो नई प्रजातियों की उपस्थिति को हिमाचल में पहली बार आधिकारिक रूप से पुष्ट किया है:

पल्लस की बिल्ली (किन्नौर क्षेत्र में)

ऊनी उड़न गिलहरी (लाहौल क्षेत्र में)

हिमाचल प्रदेश ने इस पूरे सर्वेक्षण को सिर्फ एक वर्ष के रिकॉर्ड समय में पूरा करके देश के सामने एक मिसाल कायम की है। इतने बड़े पैमाने पर हिम तेंदुओं का सर्वे इतने कम समय में करने वाला यह देश का पहला राज्य बन गया है।

स्थानीय सहयोग और महिला सशक्तिकरण

इस सफलता के पीछे स्थानीय समुदायों का अटूट सहयोग रहा है। विशेष रूप से लाहौल-स्पीति के किब्बर गांव के युवाओं, स्पीति वन प्रभाग के 20 कर्मचारियों और 15 स्थानीय सदस्यों ने सक्रिय रूप से सर्वेक्षण में भाग लिया। इस अध्ययन की वैश्विक स्तर पर सबसे अनोखी पहल यह रही कि पहली बार स्वदेशी महिला टीम ने इस वन्यजीव डेटा के विश्लेषण कार्य में हिस्सा लिया, जो संरक्षण के प्रयासों में महिला सशक्तिकरण की एक नई मिसाल पेश करता है।


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Content Editor

Jyoti M

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