हिमाचल की इस खूबसूरत झील में छिपा है गहरा ''रहस्य'', हर साल घूमने पहुंचते हैं पर्यटक (PICS)

punjabkesari.in Sunday, Jul 28, 2019 - 03:57 PM (IST)

किन्नौर: भारत का पहाड़ी राज्य हिमाचल अपने पौराणिक महत्व के साथ-साथ रहस्यों का गढ़ भी माना जाता है। यहां कई झील अपने रहस्यों की वजह से जानी जाती हैं। झीलों को अपनी आंखों से दीदार करने का सपना आखिर किस व्यक्ति का नहीं होता। लोगों को झीलें बेहद पसंद होती हैं। इस दुनिया में एक से बढ़कर एक खूबसूरत झीलें हैं। इन झीलों के प्राकृतिक नज़ारों को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक भी पहुंचते हैं।
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आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के दूर-दराज जिला किन्नौर की 'नाको झील' के बारे में बताएंगे। हंगरांग वैली के नाको गांव में स्थित यह झील जितनी खूबसूरत है, उतनी ही अपनी गहराई में इसने कई रहस्य छुपाए हुए हैं। नाको गांव समुद्र तल से 3,661 मीटर की ऊंचाई पर जो कि भारत-चीन सीमा पर स्थित है।  
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इस गांव की सुंदरता में चार चांद लगाती है नाको झील 

यहां हर साल हजारों पर्यटक घूमने पहुंचते हैं। इस गांव की सुंदरता देखते ही बनती है। गांव के बीचों-बीच एक प्राकृतिक झील है जो इस गांव की सुंदरता में चार चांद लगाने का काम करती है। लोगों का कहना है कि ये झील प्राकृतिक है और इसका निर्माण हजारों साल पहले हुआ था। बताया जा रहा है कि इस झील का इतिहास हजारों साल पहले गुरु पद्म संभव से जुड़ा हुआ है। गुरु पद्म संभव जो नालंदा विश्वविद्यालय में तांत्रिक विद्या के अध्यापन का काम करते थे, जब नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगी तो पद्म संभव ने इसकी लपटों से कुछ एक बोद्ध धर्म की बची हुई पुस्तकों को वहां से सही सलामत निकाला था। कहा जाता है कि जब पद्म संभव के बारे में तिब्बत के राजा ठी को पता चला तो उन्होंने उनको तिब्बत बुलाया, क्योंकि उस दौरान इनमें भूत प्रेतों का आतंक काफी बढ़ गया था। जब पद्म संभव को यह बात पता चली तो वे बोद्ध पुस्तकों को लेकर वायु वेग से किन्नौर आए और कुछ देर आंखें बंदकर अपने ध्यान में लगे रहे। जब उनकी आंख खुली तो गांव के मध्य अचानक एक झील का निर्माण हो चुका था। 
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झील के चारों तरफ चक्कर काटने से इंसान के मुक्त हो जाते हैं पाप  

इस झील के प्राकृतिक निर्माण गांव में सूखे जैसी कई परेशानियों का अंत हुआ। हैरानी की बात यह है कि इस झील से पानी निकलने का कोई रास्ता नहीं है। यही रहस्य का विषय है कि आखिर इसका पानी आखिर जाता कहां है। जब थकान मिटाने के बाद गुरु संभव ने यहां से उड़ान भरी थी तो उन्होंने झील के समीप एक पत्थर पर कदम रखा, जिससे उनके पैर के निशान उस पत्थर पर रह गए, जिसे ग्रामीणों ने एक मंदिर के अंदर गुरु पद्म संभव की मूर्ति के साथ स्थापित किया हुआ है। इस मंदिर में हर रोज बोद्ध लामाओं द्वारा पूजा की जाती है। नाको झील की सुंदरता के साथ इसका इतिहास भी बहुत पवित्र है। कहा जाता है कि इस झील के चारों तरफ चक्कर काटने से इंसान के पाप मुक्त हो जाते हैं। 
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