यहां कुंडली न मिलने पर ऐसे होती है शादी, आज भी कायम है सदियों पुरानी परंपरा (PICS)

punjabkesari.in Saturday, Jul 27, 2019 - 12:06 PM (IST)

मंडी: देवभूमि हिमाचल में आज भी सदियों पुरानी परंपराएं कायम हैं। ऐसी ही एक परंपरा मंडी जिले की सराज घाटी में आज भी चली आ रही है। बारिश के मौसम में यहां कई जगहों पर मेले लगते हैं। इन मेलों में 'गंधर्व शादी' की परंपरा भी है। इतना ही नहीं एक-दूसरे को पसंद करने वाले युवा इन मेलों का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
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मान्यता है कि जिन जोड़ों की कुंडली का मिलान नहीं होता है, वह इन मेलों में आकर देवता के सामने शादी कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। इन दिनों पंडोह से छतरी और बाखलीनाल से डाहर बालीचौकी तक देव समागम चले हुए हैं। यह सिलसिला सितंबर महीने के आखिर तक चलता है।
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इन मेलों में लोग पारंपरिक नाटियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेलकूद प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं। मेले में इसमें सराज के आराध्य देवता शैटीनाग, देवता विष्णु नारायण, देवता घलयालू, देवता भूजा ऋषि, देवता कमरुनाग और देवता पांचवीर के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
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