Shimla: एफसीए कानून में परिवर्तन को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार
punjabkesari.in Friday, Sep 12, 2025 - 10:23 PM (IST)

शिमला (भूपिन्द्र): प्रदेश सरकार की एफसीए कानून में परिवर्तन को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी है। राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि इसके माध्यम से सरकार डिमार्केटिड फोरैस्ट के अलावा दूसरे फोरैस्ट में छूट देने की मांग करेगी, ताकि राज्य सरकार आपदा में भूमिहीन हुए लोगों को जमीन दे सके। यह बात उन्होंने शुक्रवार को शिमला में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि एफसीए लागू होने के बाद राज्य में सारी भूमि वन भूमि है।
ऐसे में सरकार किसी भी आपदा ग्रस्त परिवार को भूमि नहीं दे सकती है। इससे संबंधित प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है, लेकिन केंद्र का रवैया उदासीन है। जगत सिंह नेगी ने कहा कि उन्होंने एचपीएमसी के अधिकारियों के साथ बैठक की तथा सेब को मार्कीट तक पहुंचाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर सड़कें बंद होने के कारण उन्हें निकाला नहीं गया है। इसको लेकर ट्रक ऑप्रेटरों के साथ भी बैठक की गई है।
वहीं राजस्व एवं बागवानी मंत्री ने कहा कि किन्नौर में विपक्षी लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी लोगों ने निगुलसरी में भी लोगों को भड़काया तथा उसके बाद लोगों ने सेना व आईटीबीपी के ट्रकों को भी रोकने का प्रयास किया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर से भी पूछा कि 10 दिन से किन्नौर में त्रासदी का माहौल है तथा वह कहां पर हैं।
पाकिस्तान के प्रति केंद्र का दोहरा मापदंड ठीक नहीं
पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच को लेकर पूछे सवाल के जवाब में राजस्व एवं बागवानी मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार का यह दोहरा मापदंड ठीक नहीं है। एक ओर तो केंद्र पाकिस्तान की खिलाफत करता है, लेकिन जब दूसरी ओर क्रिकेट मैच जहां पर पैसा मिलता है तो केंद्र मैच खेलने चल पड़ता है। उन्होंने कहा कि या तो पाकिस्तान के साथ हर क्षेत्र में अच्छे रिश्ते बनाए जाने चाहिए या फिर क्रिकेट मैच भी नहीं खेलना चाहिए।
भौगोलिक स्थिति के अनुसार बनाई जाए आपदा राहत देने की पॉलिसी
जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2023 की आपदा के बाद पहली बार हिमाचल आए तथा उन्होंने स्वयं हिमाचल की स्थिति देखी। यह अच्छी बात है, लेकिन इतनी बड़ी त्रासदी के लिए 1,500 करोड़ रुपए की राशि बहुत ही कम है। उन्होंने आपदा राहत राशि देने की पॉलिसी या पैमाने में बदलाव करने की आवश्यकता पर बल दिया तथा कहा कि आपदा राहत राशि आबंटन का पैमाना ठीक नहीं है। पहाड़ी व मैदानी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग पैमाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भौगोलिक स्थिति के अनुसार आपदा राहत देने की पॉलिसी बनाई जानी चाहिए।