Shimla: पारिवारिक पैंशन पर महंगाई भत्ता पाने का हक भी : हाईकोर्ट
punjabkesari.in Monday, Nov 18, 2024 - 10:21 PM (IST)
शिमला (मनोहर): हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया है कि एक पारिवारिक पैंशनभोगी, जो सरकारी कर्मचारी की मृत्यु से पहले या बाद में स्वतंत्र क्षमता में नियुक्त है, वह पारिवारिक पैंशन पर महंगाई भत्ता पाने का हकदार भी है। कोर्ट ने पारिवारिक पैंशन पर मिलने वाले महंगाई भत्ते को गैर-कानूनी रूप से रोकने पर बिजली बोर्ड को 5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने ब्याज की राशि देय तिथि से वास्तविक भुगतान 5 सप्ताह के भीतर देने के आदेश जारी किए। बिजली बोर्ड ने याचिकाकर्त्ता की फैमिली पैंशन पर 8 फरवरी 2007 से 31 जुलाई 2022 की अवधि के लिए मिलने वाले महंगाई राहत की 23,62,082 रुपए की राशि रोक ली थी। यह राशि प्रार्थी को बकाया के रूप में 1 सितम्बर 2022 को जारी की गई थी परंतु बिजली बोर्ड ने महंगाई भत्ते के बकाया के विलंबित भुगतान पर ब्याज का भुगतान नहीं किया था। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकारते हुए बिजली बोर्ड को 5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने 5 सप्ताह के भीतर ऐसा न करने पर ब्याज दर देय तिथि से 6 प्रतिशत प्रति वर्ष करने के आदेश भी दिए। मामले के अनुसार याचिकाकर्त्ता के पति को हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड में नियमित आधार पर 1 जनवरी 1978 को जूनियर इंजीनियर (इलैक्ट्रिकल) के रूप में नियुक्त किया गया था। 7 फरवरी 2007 को 55 वर्ष की आयु में अतिरिक्त सहायक अभियंता के रूप में पदस्थापित रहते हुए उनकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्त्ता अपने पति की मृत्यु के समय शिक्षा विभाग में बतौर केंद्रीय मुख्याध्यापक के रूप में स्वतंत्र रूप से नियुक्त थी। पति की मृत्यु के बाद याचिकाकर्त्ता को 8 फरवरी 2007 से पारिवारिक पैंशन मिलनी शुरू हो गई परंतु उसे महंगाई भत्ता नहीं दिया गया। इसके बाद प्रार्थी ने रिट याचिका दायर कर 8 फरवरी 2007 से 31 जुलाई 2022 तक की अवधि के लिए महंगाई राहत पर ब्याज की मांग की।
प्रतिवादियों का कहना कि याचिकाकर्त्ता ने केवल अगस्त 2022 में महंगाई भत्ता जारी करने के लिए प्रतिनिधित्व किया था, जिसके कारण उसके मामले की जांच में देरी हुई। कोर्ट ने इसे हताशा पूर्ण तर्क बताते हुए कहा कि यदि प्रतिवादियों ने याचिकाकर्त्ता के मामले की जांच कानून की समुचित समझ के साथ की होती, तो उन्हें स्पष्ट होता कि उसे पारिवारिक पैंशन पर महंगाई भत्ता देने से इन्कार नहीं किया जा सकता था।