Shimla: विकास समिति के माध्यम से अनुबंध पर नियुक्त कर्मियों को नियमित करने के आदेश : हाईकोर्ट

punjabkesari.in Wednesday, Sep 24, 2025 - 09:00 PM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने बागवानी विभाग को आदेश दिए हैं कि वह अपने विभिन्न संस्थानों में हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास समिति के माध्यम से अनुबंध पर नियुक्त सभी याचिकाकर्त्ताओं को नियमित करे। बागवानी विभाग के तहत इस सोसायटी के तहत काम करने वाले सैंकड़ों कर्मियों को इस आदेश का लाभ मिलेगा। कोर्ट ने विभाग को आदेश दिए हैं कि वह हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित नियमितीकरण नीति के अनुसार 2 वर्ष की अनुबंध सेवा पूरी करने के बाद याचिकाकर्त्ताओं की अनुबंध सेवाओं को नियमित करे। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने सैंकड़ों याचिकाकर्त्ताओं की याचिकाओं का निपटारा करते हुए ये आदेश जारी किए। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के विभिन्न फैसलों के आधार पर कहा कि यह स्पष्ट है कि एक कल्याणकारी संस्था के रूप में राज्य सरकार का नीति-निर्देशक सिद्धांतों के अंतर्गत मानव गरिमा की रक्षा करना संवैधानिक कर्त्तव्य है। हालांकि न्यायालय सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन के लिए राज्य सरकार को सीधे उत्तरदायी बनाने वाला कोई व्यापक नियम बनाने से बचता है, लेकिन इस बात पर जोर दिया जाता है कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती और ऐसे मामलों में जहां संस्था का उपयोग अन्यायपूर्ण, असमान या कपटपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाता है, वहां अदालत द्वारा सरकार का कॉर्पोरेट पर्दा हटाया जा सकता है।

इन मामलों में याचिकाकर्त्ताओं को विभिन्न पदों पर अनुबंध के आधार पर नियुक्ति की पेशकश की गई थी, जैसे सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता (सिविल इलैक्ट्रीकल/मैकेनिकल इंस्ट्रूमैंटेशन), ड्राफ्ट्समैन, फैसिलिटेटर, सर्वेक्षक, तकनीकी फैसिलिटेटर, पदस्थ अधिकारी, प्रोग्रामर, एमए खरीद, एमए लेखा, फार्म प्रबंधक, सहायक फार्म प्रबंधक, कार्यालय सहायक (प्रबंधन/आई.टी.)। इन्हें या तो परियोजना प्रबंधक हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास समिति (एचपीएचडीएस) या निदेशक बागवानी द्वारा विभिन्न वेतनमानों आदि पर रखा गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई नियमितीकरण नीति के अनुसार इन्हें नियमितीकरण के लाभ से वंचित किया जा सके। सरकार का ऐसे मामलों में यह तर्क होता है कि वे प्रतिवादी राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि विभिन्न समितियों, ठेकेदारों, एजैंसियों के कर्मचारी हैं। याचिकाकर्त्ताओं को हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास समिति और बागवानी निदेशक हिमाचल प्रदेश द्वारा अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए जाने के बाद हिमाचल प्रदेश के बागवानी निदेशालय के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड, राज्य बागवानी विश्वविद्यालयों और नर्सरी प्रबंधन समितियों आदि में लगाया गया।

राज्य सरकार का कहना था कि हिमाचल प्रदेश सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 2006 के तहत हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास सोसायटी का गठन किया गया है। सोसायटी के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इसके द्वारा 4.6.2018 को कनिष्ठ अभियंता (सिविल) के पदों सहित विभिन्न प्रकार के पदों की संख्या का विज्ञापन दिया गया। याचिकाकर्त्ताओं ने कहा कि इसी तरह की स्थिति में इसी तरह बनाई गईं सरकारी सोसायटियां (अर्थात हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन सोसायटी, वन विभाग के अंतर्गत-सर्व शिक्षा अभियान हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के अंतर्गत स्कूल शिक्षा सोसायटी, ई-गवर्नैंस राजस्व विभाग के अंतर्गत सोसाइटियां, वन विभाग के अंतर्गत एकीकृत वाटरशैड विकास परियोजना, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हिमाचल प्रदेश विद्युत निगम, वन विभाग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश चिड़ियाघर संरक्षण सोसायटी, हिमाचल प्रदेश रैडक्रॉस सोसायटी, हिम ऊर्जा, रोगी कल्याण समिति, जिला ग्रामीण अभिकरण ने कई लोगों को नियुक्त किया, जो शुरू में अस्थायी, अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए थे, लेकिन बाद में उन्हें वरिष्ठता और अन्य लाभों के साथ संस्थान में रिक्त पदों पर अपने उत्तराधिकारी उपक्रम में समायोजित/स्थानांतरित कर दिया गया और कुछ कर्मचारियों को हिमाचल प्रदेश सरकार के वन विभाग सहित अन्य विभागों में समायोजित किया गया और उन्हें हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई नियमितीकरण नीति के अनुसार नियमित किया गया।

सरकार का तर्क था कि याचिकाकर्त्ता बागवानी विभाग के कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि वे सोसायटी के कर्मचारी हैं, जो एक स्वायत्त निकाय है और इस तरह हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा तैयार नियमितीकरण की नीति का लाभ नहीं ले सकते। याचिकाकर्त्ताओं को एक विशिष्ट कार्य के लिए सोसायटी में अस्थायी रूप से नियुक्त किया गया था और एक बार सोसायटी का काम समाप्त हो जाने के बाद याचिकाकर्त्ता नियमितीकरण की नीति के संदर्भ में नियमितीकरण का दावा नहीं कर सकते हैं। सरकार का कहना था कि अनुबंध कर्मियों को नियमित करने की नीति ऐसे कर्मियों के लिए नहीं बल्कि यह नीति केवल उन कर्मचारियों पर लागू होती है, जिन्हें हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग या तत्कालीन हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड के माध्यम से भर्ती किया गया था। प्रतिवादियों द्वारा दायर जवाब में यह भी कहा गया था कि याचिकाकर्त्ताओं की सेवाएं परियोजना के साथ ही समाप्त हो रही हैं। हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलों को नकारते हुए सभी याचिकाकर्त्ताओं को नियमित करने के आदेश जारी किए।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Kuldeep

Related News