Shimla: हाईकोर्ट से विधायक संजय अवस्थी को भ्रष्टाचार मामले में कोई राहत नहीं मिली
punjabkesari.in Monday, Sep 15, 2025 - 08:59 PM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट से विधायक संजय अवस्थी को भ्रष्टाचार मामले में कोई राहत नहीं मिली। राज्य सरकार ने विधायक संजय अवस्थी के खिलाफ भ्रष्टाचार और जालसाजी से जुड़े आपराधिक मामले को वापस लेने से जुड़े आवेदन को वापस ले लिया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार के आवेदन पर सुनवाई हुई जिसके तहत संजय अवस्थी के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लेने की इजाजत मांगी गई थी। उल्लेखनीय है कि एकल पीठ के समक्ष संजय अवस्थी ने अपने खिलाफ दर्ज उक्त मुकद्दमे को खारिज करने हेतु याचिका दायर कर रखी है। उस याचिका में अवस्थी की ओर से दलील दी गई थी कि सरकार उनके खिलाफ दर्ज उपरोक्त मामले को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिसके बाद कोर्ट ने सरकार को उक्त दलील के संबंध में जरूरी निर्देश पेश करने के आदेश दिए थे। इस बीच सरकार ने खंडपीठ के समक्ष आवेदन दायर कर अवस्थी के खिलाफ दर्ज मुकद्दमे को वापस लेने की इजाजत मांगी थी।
मामले के अनुसार 21 अप्रैल 2022 को विशेष न्यायाधीश सोलन ने अवस्थी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में आरोप तय करते समय कहा था कि प्रार्थी के खिलाफ प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468 और 120बी के अंतर्गत दंडनीय अपराधों का मामला बनता है। साथ ही कहा था कि प्रार्थी उस समय नगर पालिका सोलन का पार्षद था इसलिए उनके खिलाफ लोक सेवक होने के कारण भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(I)(d)(ii) और धारा 13(2) के अंतर्गत अपराध का भी मामला बनता है। संजय अवस्थी पर आरोप है कि उन्होंने पार्षद होते हुए क्रिकेट खिलाड़ी हरियाणा निवासी विक्रमजीत सिंह मलिक को हिमाचली होने का झूठा प्रमाणपत्र जारी किया जिस कारण वह बोनाफाइड हिमाचली प्रमाण पत्र पाने में सफल हुआ। प्रार्थी संजय अवस्थी का कहना था कि तत्कालीन तहसीलदार को 14 मई 2001 को विक्रमजीत सिंह मलिक के पक्ष में हिमाचली प्रमाण पत्र जारी करने से पहले कुछ तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए था और पार्षद ऐसा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए पात्र नहीं होता।
विशेष न्यायाधीश सोलन ने सभी पक्षकारों को सुनने और रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। कोर्ट ने कहा था कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री से पता चलता है कि हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के तत्कालीन प्रचलित नियमों और विनियमों के अनुसार, केवल एक वास्तविक हिमाचली ही विभिन्न क्रिकेट टूर्नामैंटों में हिमाचल प्रदेश के लिए खेल सकता है। विक्रमजीत मलिक गांव सींख, तहसील इशराना, जिला पानीपत, हरियाणा का स्थायी निवासी होने के कारण, हिमाचल प्रदेश के लिए खेलने के योग्य नहीं था। संजय अवस्थी उस समय नगर पालिका सोलन के वार्ड संख्या 9 के पार्षद थे और उन्होंने 14 मई 2001 को एक प्रमाण पत्र जारी किया था जिसमें बताया गया था कि मलिक पिछले 15 वर्षों से सोलन का स्थायी निवासी है। इस आधार पर उसने तत्कालीन तहसीलदार, सोलन के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया और 14 मई 2001 को वास्तविक हिमाचली होने का प्रमाण पत्र प्राप्त किया। जिसके बाद उसने हिमाचल प्रदेश के लिए क्रिकेट टूर्नामैंट खेले।
कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अवस्थी द्वारा 14 मई 2001 को जारी प्रमाण पत्र को गलत बताया जिसका उपयोग मलिक द्वारा तहसीलदार सोलन से वास्तविक हिमाचली प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए किया गया। विशेष न्यायाधीश ने 14 मई 2001 को जारी हिमाचली प्रमाण पत्र को प्रथम दृष्टया झूठा बताया और इसे मलिक द्वारा अवस्थी के साथ मिलीभगत करके तत्कालीन तहसीलदार, सोलन से वास्तविक हिमाचली का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए वास्तविक के रूप में इस्तेमाल किया गया था। अभी यह मामला विशेष न्यायाधीश सोलन के समक्ष लंबित है।