Shimla: मुख्यमंत्री सुक्खू दिल्ली रवाना, प्रदेश कांग्रेस के पुनर्गठन पर मोहर संभव
punjabkesari.in Sunday, Oct 05, 2025 - 09:01 PM (IST)

शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू रविवार को दिल्ली के लिए रवाना हुए। सूचना के अनुसार उन्हें हाईकमान ने दिल्ली बुलाया है। दिल्ली पहुंचने पर उन्होंने कुछ नेताओं से भी मुलाकात की, साथ ही वह सोमवार को पार्टी के हाईकमान से मुलाकात करेंगे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में प्रदेश मंत्रिमंडल में रिक्त पड़े मंत्री के एक पद को भरने, प्रदेश कांग्रेस के नए सिरे से पुनर्गठन सहित अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। हिमाचल में आगामी पंचायत चुनाव को देखते हुए कांग्रेस संगठन में सक्रियता लाना बेहद जरूरी हो गया है।
चुनाव में अब महज अढ़ाई महीने का समय शेष रह गया है, जबकि प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी को भंग हुए 11 महीने बीत चुके हैं। कांग्रेस कार्यकारिणी का गठन न होने से ऐसे में पार्टी के भीतर भी असंतोष की स्थिति देखने को मिल रही है। हिमाचल में सिर्फ पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह के सहारे ही कांग्रेस का संगठन चल रहा है। संगठन के अभाव में कांग्रेस भाजपा के हमलों का जवाब देने में नाकाम है, साथ ही सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाना भी मुश्किल हो रहा है।
कांग्रेस हाईकमान ने लोकसभा चुनाव में हिमाचल की चारों सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की हार के बाद बीते साल 6 नवम्बर को जिला व ब्लाॅक इकाइयों के साथ-साथ राज्य कार्यकारिणी को भी भंग कर दिया गया। हाईकमान के आदेशों के बाद संगठन के नाम पर इन दिनों मात्र पीसीसी चीफ ही प्रदेश में हैं। हालांकि हाईकमान ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला के स्थान पर रजनी पाटिल को भी प्रभारी बनाया है, मगर संगठन का गठन नहीं हो सका।
प्रदेश कांग्रेस के संगठन के गठन को लेकर कई मर्तबा कवायद तेज हुई। प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेताओं ने हाईकमान के समक्ष अपने-अपने करीबियों को संगठन की कमान सौंपने को लेकर दावे पेश करते हुए उनकी खूबियां गिनाईं। कभी शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर तो कभी विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार, विनोद सुल्तानपुरी और संजय अवस्थी की पीसीसी चीफ के तौर पर नियुक्ति को लेकर चर्चाएं कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में होती रहीं, लेकिन एक साल से न तो संगठन का गठन हुआ और न ही नया पीसीसी चीफ बनाया गया।
राज्य में आगामी 2 महीनों में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव होने हैं। हालांकि इन संस्थाओं के चुनाव पार्टी चिह्न पर नहीं होते हैं लेकिन राजनीतिक दलों का समर्थन उम्मीदवारों को रहता है। इसके अलावा सरकार का 3 साल का कार्यकाल भी दिसम्बर में पूरा हो रहा है। जाहिर है कि 3 साल के बाद सरकार को अपना रिपोर्ट कार्ड लोगों के सामने रखना होगा।
बगैर संगठन के कांग्रेस को सुक्खू सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों के साथ-साथ उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाना मुश्किल होगा। लिहाजा माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री दिल्ली में हाईकमान के समक्ष तमाम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस संगठन के गठन की तरफ बढ़ेगी।