सीएम ने किया वायदा, शास्त्री व भाषा शिक्षकों को बजट सत्र में मिलेगा टीजीटी पदनाम

punjabkesari.in Friday, Feb 26, 2021 - 07:24 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्कूलों में कार्यरत शास्त्री व भाषा अध्यापकों को इस बजट सत्र में टीजीटी पदनाम देने का वायदा किया है। शिक्षक लंबे अरसे से प्रदेश सरकार से यह मांग कर रहे हैं, जो अब पूरी होती दिख रही है। शुक्रवार को इस मामले को लेकर हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के साथ संस्कृत भारती और हिमाचल प्रदेश राजकीय शिक्षक परिषद के पदाधिकारियों की संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से बैठक हुई। बैठक में शास्त्री और भाषा अध्यापकों को टीजीटी पदनाम देने की मुख्य मांग को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान शिक्षक नेताओं ने टीजीटी पदनाम प्रदान करके जिला कैडर के दायरे में बिता रहे 14 साल के वनवास को जल्द समाप्त करने की मांग उठाई है।

शिक्षकों का कहना है कि शास्त्री और भाषा अध्यापक टीजीटी का दर्जा मिलने के बाद स्टेट कैडर में शामिल हो जाएंगे। उसके बाद टीजीटी के समान अन्य लाभों के साथ स्थानांतरण के लिए जिला कैडर की शर्त नहीं रहेगी। शिक्षक नेताओं ने बताया कि मुख्यमंत्री ने बजट सत्र में शिक्षकों की इस मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया है। बैठक में शामिल संयुक्त प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव पवन मिश्रा, शिक्षक महासंघ के प्रांत उपाध्यक्ष डाॅ. मामराज पुंडीर, संस्कृत भारती के प्रांत संगठन नरेंद्र कुमार, शिक्षा परिषद के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. मनोज शैल, डाॅ. जगन्नाथ शास्त्री, डाॅ. अरुण शर्मा व डाॅ. सेवक राम शास्त्री भी मौजूद रहे।

शिक्षकों की ये भी हैं मांगें

जिन अध्यापकों ने बीएड, शिक्षा शास्त्री व डीएलएड कर रखी है, उन्हें तुरंत प्रभाव से टीजीटी शास्त्री व टीजीटी हिन्दी पदनाम देने, 29 जुलाई, 2011 से पूर्व नियुक्त अध्यापकों को एकमुश्त छूट देकर टीजीटी के समकक्ष माना जाए। भविष्य में होने वाली भर्ती के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन करके शास्त्री उपाधि के साथ शिक्षा शास्त्री, बीएड, डीएलएड की अनिवार्यता की जाए, सभी जिला उपनिदेशकों को वरिष्ठता सूची जारी करने के लिए कहा जाए, प्रारंभिक शिक्षा विभाग में विशेषाधिकारी संस्कृत या समन्वयक (को-ऑर्डीनेटर) का पद सृजित किया जाए तथा कार्य संपादन के लिए प्रारंभ में प्रतिनियुक्ति के आधार पर ही योग्य शास्त्री अध्यापक की नियुक्ति की जाए, सभी उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय में भी एक पद संस्कृत समन्वयक का सृजित किया जाए, प्रदेश सरकार के निर्णयानुसार अग्रिम सत्र में ही दूसरी कक्षा से संस्कृत विषय शुरू किया जाए, जिसके लिए शिक्षा बोर्ड ने पाठ्यक्रम भी तैयार कर लिया है।


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Content Writer

Vijay

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