पुनर्स्थापित होंगे झील में डूबे शताब्दियों पुराने मंदिर, CM ने ASI दिल्ली को लिखी चिट्ठी

punjabkesari.in Monday, Jun 11, 2018 - 04:50 PM (IST)

बिलासपुर (मुकेश): भाखड़ा बांध के निर्माण के उपरांत 1960 के दशक में गोबिंद सागर झील में जलमग्न हुए 13वीं शताब्दी पहले प्राचीन मंदिरों के अवशेषों का पुनर्स्थापन शीघ्र होगा। ये मंदिर लगभग 6 महीने पानी में रहते हैं और 6 महीने पानी से बाहर। हिमाचल प्रदेश की भाषा एवं संस्कृति विभाग की सचिव डॉ पूर्णिमा चौहान ने जलमग्न हुए प्राचीन मंदिरों के अवशेषों का निरीक्षण कियाष साथ ही फिर से इन प्राचीन सभ्यता व संस्कृति से जुड़ी धरोहरों व मंदिरों के अवशेषों को नए बिलासपुर शहर में संजोये रखने की आस जगी। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी इस महत्वाकांक्षी योजना पर संज्ञान लेते हुए एएसआई दिल्ली को चिट्ठी लिखी है। 
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सचिव पूर्णिमा चौहान ने यहां सर्किट हाऊस में बातचीत में बताया कि एएसआई दिल्ली के साथ पत्राचार तो काफी समय से चल रहा है। हाल ही में एएसआई के डीजी को एक रिमाइंडर भी भेजा गया है कि एक टीम आकर पानी उतरने से पहले मंदिरों की पुर्नस्थापना को लेकर सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार करे, ताकि आगामी कार्रवाई को शुरू किया जा सके। पिछले सप्ताह शिमला में एएसआई के कार्यरत सुपरीटेंडेंट को बुलाकर इस मसले पर गंभीरता से कार्य करने के लिए कहा है। यही नहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी इस महत्वाकांक्षी योजना पर संज्ञान लेते हुए एएसआई को पत्र लिखा है। 


आज तक केंद्र सरकार और हिमाचल सरकार 13वीं शताब्दी पूर्व प्राचीन मंदिरों के पुनर्स्थापन में विफल रही। वर्ष 1960 के दशक में भाखड़ा बांध अस्तित्व आया उस दौरान तत्कालीन बिलासपुर शहर जलमग्न हो गया था। तत्कालीन केंद्र सरकार ने बिलासपुर की जनता को आश्वाशन दिया था कि प्राचीन सभ्यता व संस्कृति से जुडी धरोहरों व मंदिरों के अवशेषों को नए बिलासपुर शहर में संजोकर रखा जाएगा, मगर मंदिरों के पुनर्विस्थापन के प्रति धरातल पर कुछ भी नहीं हो सका। 


प्राचीन मंदिरों के अवशेष का अस्तित्व समाप्त होने की कंगार पर हैं, क्योंकि प्राचीन मंदिरों के अवशेष पानी के भाव के साथ आने वाली मिट्टी से ढकते जा रहे हैं। बिलासपुर में अनेक जिलाधीश अपना दायित्व निभाने आए व अपना कार्यकाल पूर्ण कर चले गए। लेकिन अब डॉ पूर्णिमा चौहान सचिव भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के दौरे एवं निरीक्षण से उम्मीद जताई है कि भाखड़ा बांध के निर्माण के उपरांत झील में जलमग्न हुए प्राचीन मंदिरों के अवशेषों का पुनर्स्थापन शीघ्र होगा।


 


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