कालाअंब में Air Quality Index ने तोड़े इस साल के सारे रिकॉर्ड

punjabkesari.in Saturday, Nov 07, 2020 - 12:25 AM (IST)

शिमला (देवेंद्र हेटा): पड़ोसी राज्यों की दूषित हवा का असर प्रदेश में भी साफ दिखने लगा है। पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में जलने वाली पराली व अन्य कारणों से कालाअंब शहर की हवा बहुत दूषित हो गई है। कालाअंब का एयर क्वालिटी इंडैक्स (एक्यूआई) बीते वीरवार को 217 माइक्रो ग्राम तक पहुंच गया जबकि यह 50 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। इस महामारी के दौर में कोविड मरीजों के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है। हिमाचल के किसी भी शहर में इस साल का यह सबसे अधिक वायु प्रदूषण बताया है। औद्योगिक क्षेत्र बद्दी और पौंटा साहिब का एक्यूआई भी 100 से पार चल रहा है। बद्दी का एक्यूआई 122 और पौंटा साहिब का 105 माइक्रो ग्राम दर्ज किया गया। इससे दमे के रोगियों के साथ-साथ कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

बीते सालों में 300 माइक्रो ग्राम का स्तर छू चुका एयर क्वालिटी इंडैस्क

हिमाचल के कई औद्योगिक क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडैस्क बीते सालों के दौरान 300 माइक्रो ग्राम का स्तर जरूर छू चुका है लेकिन इस साल 23 मार्च को लागू लॉकडाऊन ने प्रदेश की हवा को साफ बनाया है। राज्य में इस साल इतना खराब एक्यूआई कभी नहीं रहा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बढ़ते एक्यूआई को देखते हुए पहले ही किसानों को पराली न जलाने की एडवायजरी जारी कर रखी है। इसे लेकर कृषि विभाग को किसानों को जागरूक करने को बोला गया है। पीसीबी ने पीडब्ल्यूडी को भी कार्यस्थलों पर नियमित तौर पर पानी का छिड़काव करने को कह रखा है।

एक्यूआई के साथ पीएम 10, पीएम 2.5, एसओ 2, एनओएक्स भी बढ़ा

एक्यूआई के साथ-साथ पीएम 10, पीएम 2.5, एसओ 2 व, एनओएक्स का स्तर भी तकरीबन 2 से 3 गुना बढ़ा है। पीएम 10 का स्तर 50 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए, जबकि कालाअंब में यह 179.2 तक पहुंच गया है। इसी तरह एसओ 2 का जो स्तर 2 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए, वह भी 5.19, एनओ एक्स जो 10.6 होना चाहिए, कालाअंब में यह भी बढ़कर 17.26 दर्ज किया गया। बद्दी और पोंटा साहिब में भी पीएम 10, पीएम 2.5, एसओ 2, एनओएक्स का स्तर बढ़ा है।

क्या होता है आरएसपीएम

रेस्पीरेबल सस्पैंडिड पर्टिकुलर मैटर (आरएसपीएम) हवा में मौजूद बहुत से जहरीले कणों को मापने का जरिया है। इसके अधिक होने से इंसानों के फेफड़ों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। वायुमंडल में घुलने वाली जहरीली हवाएं सांस के साथ गले, श्वास नली और फेफड़ों तक पहुंच सकती हंै। इससे खासकर अस्थमा व सांस रोगों की शुरूआत होने का भय रहता है।

विभिन्न शहरों का एयर क्वालिटी इंडैक्स

 शहर  एयर क्वालिटी इंडैक्स
 कालाअंब  217
 बद्दी  122
 पांवटा साहिब  105
 नालागढ़  88
 सुंदरनगर  87
 डमटाल  78
 धर्मशाला  74
 शिमला  50
 मनाली  38

कितना एक्यूआई अच्छा या बुरा

 0-50   अच्छा
 51-100  संतोषजनक
 101-200  मध्यम श्रेणी
 201-300  घटिया
 301-400  बेहद घटिया

 




 


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Vijay

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