Himachal: बिजली पर दूध व पर्यावरण उपकर लगाने को मिली अनुमति, विधानसभा में विधेयक पारित

punjabkesari.in Tuesday, Sep 10, 2024 - 06:56 PM (IST)

शिमला (कुलदीप): हिमाचल प्रदेश में बिजली पर दूध व पर्यावरण उपकर लगाने संबंधी संशोधन विधेयक को विधानसभा ने चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इससे संबंधित विधेयक को पारित रखने का प्रस्ताव सदन के समक्ष रखा। उन्होंने इस दौरान कहा कि सरकार ने अभी 125 यूनिट फ्री बिजली देने की योजना बंद नहीं की है। सरकार इस पर विवेकपूर्ण फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि दूध और पर्यावरण उपकर को लगाने के 2 उद्देश्य हैं। पहला यह कि इससे दुग्ध उत्पादकों व किसानों को सशक्त करना तथा दूसरा हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक पहला ग्रीन एनर्जी राज्य बनाना है। उन्होंने कहा कि सरकार 250 करोड़ रुपए की लागत से डगवार में नीदरलैंड के सहयोग से आधुनिक मिल्क प्रोसैसिंग प्लांट लगाएगी।

उन्होंने कहा कि वाहन चार्जिंग स्टेशन पर 6 रुपए प्रति यूनिट पर्यावरण उपकर लेने के बावजूद चार्जिंग स्टेशन वालों को लाभ होगा। उल्लेखनीय है कि संशोधन विधेयक के पारित होने से बिजली पर 10 पैसे प्रति यूनिट दूध उपकर लगेगा। इसी तरह उद्योगों सहित 7 श्रेणी के उपभोक्ताओं पर 0.02 रुपए से 6 रुपए प्रति यूनिट पर्यावरण उपकर लिया जाएगा। यानी लघु उद्योगों से 0.02 रुपए प्रति यूनिट, मध्यम उद्योगों से 0.04 रुपए प्रति यूनिट, बड़े औद्योगिक व सीमैंट कारखानों पर 0.10 रुपए प्रति यूनिट, वाणिज्यिक श्रेणी में 0.10 रुपए प्रति यूनिट, अस्थायी कनैक्शन पर 2 रुपए प्रति यूनिट, स्टोन क्रशर पर 2 रुपए प्रति यूनिट तथा विद्युत वाहन चाल्जंग स्टेशन पर 6 रुपए प्रति यूनिट पर्यावरण उपकर लगेगा।

बिक्रम, रणधीर व राकेश ने किया विरोध
दूध व पर्यावरण पर उपकर लगाने का भाजपा विधायक बिक्रम सिंह, रणधीर शर्मा और राकेश जम्वाल ने विरोध किया। उनका कहना था कि इससे प्रदेश से उद्योग पलायन कर सकते हैं। ऐसा करके सरकार आम विद्युत उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है। स्टोन क्रशरों पर उपकर लगने से रेत और बजरी महंगी हो जाएगी, जिससे आम आदमी पर इसका असर पड़ेगा।

जनता पर टैक्स लगाकर राजस्व जुटाने का तरीका सही नहीं : जयराम
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि आर्थिक संकट की आड़ में जनता पर टैक्स लगाकर राजस्व जुटाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव के समय 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वायदा किया था, लेकिन पहले से मिलने वाली 125 यूनिट फ्री बिजली का लाभ भी छीन लिया। इतना ही नहीं यदि आम आदमी के घर में लगे नल में पानी नहीं आने के बावजूद उसको 100 रुपए देने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्णय से प्रदेश से उद्योग पलायन कर जाएंगे, क्योंकि पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में सस्ती बिजली मिल रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके सरकार को लाभ होने की बजाय उलटा नुक्सान होगा।
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Content Writer

Vijay

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