Himachal: रो-रो कर मिला मई माह का वेतन, लेकिन 1800 का लगाया कट, कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग
punjabkesari.in Saturday, Jul 05, 2025 - 06:27 PM (IST)

शिमला (संतोष): राज्य के कोने-कोने से मरीजों व प्रसूताओं को अस्पताल लाने व ले जाकर उनकी जान बचाने वाले 108-102 एम्बुलैंस कर्मी पूरी तरह से हताश होकर रह गए हैं। रो-रो कर उन्हें मई माह का वेतन 5 जुलाई को मिला, लेकिन उसमें भी 1800 रुपए का कट लगाया गया है, जिससे कर्मी आहत हो गए हैं, वहीं जून माह का वेतन अभी तक नहीं मिला है। ऐसे में कर्मचारियों ने मैडस्वान कंपनी पर गड़बड़झाले का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ सरकार व एमडी एनएचएम से जांच की मांग उठाई है, अन्यथा कर्मचारी हड़ताल पर जाने को बाध्य हो जाएंगे।
108-102 एम्बुलैंस कर्मचारी संघ संबंधित सीटू के प्रदेशाध्यक्ष सुनील दत्त व महासचिव बालकराम शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि मेडस्वान कंपनी द्वारा पिछले 4 वर्षों से कर्मचारियों का बुरी तरह से शोषण किया जा रहा है। अपनी मांगों को लेकर कई बार प्रशासन, सरकार व एमडी एनएचएम के पास गए, लेकिन सरकार और एनएचएम सभी कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है, जैसे कि वह हिमाचल के ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पिछली कंपनी जो उन्हें वेतन देती थी, उसकी एवज में मेडस्वान कंपनी उस वेतन से भी कम सैलरी दे रही है। जो वेतन मेडस्वान कंपनी द्वारा शुरू में दिया जाता था, उन्होंने तो अब इसमें 1800 रुपए की कटौती कर डाली है। पहले उन्हें 30 दिनों का 15,040 रुपए वेतन मिलता करता था, लेकिन अब 30 दिन के 13000 रुपए कर दिए गए हैं। जब पूछा जाता है तो कहते हैं कि उनका पीएफ काटा जा रहा है। तो क्या ऐसे में पहले पीएफ ही नहीं कटता था। ऐसे में कर्मचारी पूरी रह से परेशान होकर रह गए हैं और मजाक का पात्र बन गए ह।
उन्होंने कहा कि उन्होंने वेतन कटौती के बारे में जिला सुपरवाइजर से बात की थी तो उन्होंने सैलरी स्लिप देने से इंकार दिया और कहा कि सैलरी स्टेटमैंट तब मिलेगी, जब कर्मचारी उनको लैटर लिखते हैं तो जाकर सैलरी स्टेटमैंट मिलेगी, यह कहां का कानून है। उन्होंने कहा कि मेडस्वान कंपनी ने स्वयं माना था कि वह कर्मचारियों को 15,032 रुपए सीटीसी दे रहे हैं। कर्मचारी मांग करते हैं कि कंपनी पर जांच बिठाई जाए, जिससे इनका घोटाला सामने लाया जा सके। यदि सरकार व एनएचएम जांच नहीं करते तो भविष्य में कर्मचारी हड़ताल करने को बाध्य होंगे, जिसकी जिम्मेदारी सरकार व एनएचएम की होगी।