यहां जर्जर मकान में आदिवासी जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं मां-बेटा
punjabkesari.in Sunday, Jun 13, 2021 - 08:04 PM (IST)
ज्वालामुखी (ब्यूरो): सरकार भले ही दावा करे कि कच्चे मकानों में रहने वाले गरीबों को पक्के आवास दिए गए हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अभी भी कई परिवार ऐसे हैं जो वर्षों से पक्के मकान का इंतजार कर रहे हैं। ऐसा ही मामला ज्वालामुखी उपमंडल की खुंडियां तहसील के भटवाल गांव में रहने वाले प्रकाश चंद (39) और उसकी मां 74 वर्षीय रोशनी देवी का है, जो सालों से आदिवासी जैसी जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं।
आज तक नहीं मिला किसी योजना का लाभ
इन मां-बेटे को आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना या अन्य किसी योजना का लाभ नहीं मिला है। यहां तक कि घर में शौचालय तक नहीं है। घर की दीवारें भी इतनी कमजोर हैं कि बरसात में इनके ढहने का खतरा बना रहता है। प्रकाश चंद एक कमरे के मकान में अपनी मां के साथ रहते हैं। प्रकाश चंद की मां ब्रैस्ट कैंसर से पीड़ित है।
13 वर्ष पहले हो चुकी है पिता की मृत्यु
प्रकाश चंद के सिर से 13 वर्ष पहले ही पिता का साया उठ चुका है, जिसके बाद वह लोगों के घरों में काम करके 2 वक्त के खाने का गुजारा करता है। प्रकाश चंद दिहाड़ी-मजदूरी भी नहीं लगा सकता क्योंकि उसके पैर में कुछ दिक्कत है।
अधिकारी नहीं आते जानकारी देने
प्रकाश ने बताया कि आज तक कोई अधिकारी हमें जानकारी देने नहीं आया है। इससे पता ही नहीं चलता कि किसी योजना का हमें लाभ मिल रहा है या नहीं। इसके लिए हमें परेशान होना पड़ता है।
क्या कहती हैं पंचायत प्रधान
पंचायत प्रधान आशा देवी ने कहा कि देहरू अभी हाल ही में नई पंचायत बनी है और इस परिवार की जो भी सहायता बन पाएगी, की जाएगी। पंचायत जल्द ही परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शामिल करने का प्रयास करेगी ताकि उन्हें रहने के लिए नया आशियाना मिल सके।
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