10 माह से ताले के अंदर है 20 करोड़ की मशीन

punjabkesari.in Monday, Jul 23, 2018 - 10:19 PM (IST)

टांडा (कांगड़ा): स्वास्थ्य विभाग में जितना काम किया जा रहा है, उतना जमीन पर नजर नहीं आ रहा। करोड़ों की मशीनरी मिलने के बाद भी धूल फांके तो कहीं न कहीं व्यवस्था में कमी तो जरूर होगी। डा. राजेंद्र प्रसाद आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं चिकित्सालय टांडा में रोगियों की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार ने कैंसर की बीमारी का इलाज करने के लिए लगभग 20 करोड़ रुपए की मशीन तो लगा दी, किन्तु करोड़ों की लागत से खरीदी गई यह मशीन धूल फांक रही है। इस मशीन के शुरू न होने के कारण इतनी बड़ी बीमारी से जूझने वाले रोगियों को आई.जी.सी.एम.सी. शिमला या फिर पी.जी.आई. चंडीगढ़ रैफर करना पड़ता है।


यहां है कमी
उधर, डाक्टरों का कहना है कि इस रैडिएशन मशीन को लगे लगभग 10 माह के करीब हो गए हैं, किन्तु इसे शुरू करने के लिए संबंधित कंपनी द्वारा कमिशङ्क्षनग करनी है, जिसके न होने के कारण इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक उस कंपनी द्वारा क्लीयरैंस नहीं की जाती, तब तक इसे आरंभ नहीं किया जा सकता।
कारण नंबर-2
यह भी बताया जा रहा है कि स्टाफ की कमी होने के कारण भी इस मशीन को चालू नहीं किया जा रहा है।


न चलने का कारण पूछूंगा : स्वास्थ्य मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने बताया कि वह शीघ्र ही कालेज प्रशासन को रेडियशन मशीन को चलवाने के लिए आदेश देंगे तथा इसके न चलने के लिए इसके कारण भी पूछेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से मशीन को खरीदा गया है तो उसे एक कमरे में रखने के लिए नहीं रखा है।

 


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Kuldeep

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