यहां किसानों का रब ही रखवाला, कहीं अधिकारी नहीं आते तो कहीं विक्रय केंद्रों पर लटका ताला

punjabkesari.in Friday, Aug 17, 2018 - 12:26 PM (IST)

मंडी : पदवाहन के दशकों पुराने विक्रय केंद्र में वर्ष भर ताला लटका रहता है और भवन की हालत यह है कि यह जर्जर हो चुका है और दरवाजे-खिड़कियां भी टूट गई हैं। बीज कहां वितरित किए जाते हैं, इसका पता भी आम किसानों की बजाय सिर्फ पंचायत प्रतिनिधियों एवं कुछ चुनिंदा लोगों को ही लग पाता है। पधर विधानसभा क्षेत्र में आने वाली 40 पंचायतों के लाखों किसानों के लिए केवल पधर, पदवाहन, बल्ह टिक्कर, बरोट, टिक्कन, मझारनू व जोगिंद्रनगर में ही केंद्रों का निर्माण किया गया है लेकिन किसानों की मानें तो अधिकारी इनमें नहीं बैठते हैं। हालांकि द्रंग के पाली में भी लोगों की मांग के अनुसार  एक अन्य केंद्र बनाया गया है जिसमें सप्ताह में केवल 3-3 दिन पदवाहन व पाली में बैठने का प्रावधान किया गया है लेकिन पदवाहन के केंद्र में कोई अधिकारी नहीं आता है।

किसान शांतु, राजकुमार, संतोष कुमारी, विजय, पवन, माघू राम, जयपाल, रमेश, रामकली, सुरेश, अशोक, मनोज, नरेश तथा राकेश कहते हैं कि संबंधित विक्रय केंद्र में किस दिन अधिकारी बीज वितरण के लिए आएगा, कोई नहीं जानता है। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ  केंद्रों को छोड़कर ज्यादातर केंद्रों में अधिकारी कम ही पदार्पण करते हैं। बंदरों का प्रकोप अधिक है इसलिए किसानों को हल्दी जैसे बीज भी नहीं दिए जाते हैं। किसी भी किसान को अगर बीज की आवश्यकता होती है तो उन्हें कुफरी, नशधरा , चुक्कू व शिवनगर जैसे दूरदराज क्षेत्रों से पधर आना पड़ता है जोकि मुख्य बाजार से 25 से 30 किलोमीटर दूर हैं। हालात ये हो गए हैं कि किसान उपजाऊ जमीन होने के बावजूद केवल मक्की व गेहूं की फसल ही उगा पा रहे हैं, वहीं ग्रीन हाऊस व आधुनिक खेती की बातें तो सिर्फ समाचार पत्रों और टी.वी. चैनलों पर ही सुनाई देती हैं। किसानों ने व्यवस्था पर सवाल दागते हुए कहा कि ऐसे किस तरह हमारी आय में 2022 तक दोगुना वृद्धि होगी।

द्रंग विधानसभा क्षेत्र  की 40 पंचायतों के लाखों किसानों को कृषि संबंधी जानकारी एवं सही समय पर बीजों का वितरण करने के लिए कुल 8 कृषि विक्रय केंद्र एवं कृषि प्रसार कार्यालय स्थापित किए गए हैं। विभागाधिकारियों की मानें तो वर्ष भर में द्रंग विकास खंड के समस्त क्षेत्रों में लगभग 15-20 प्रसार कार्यक्रम करवाए जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि विक्रय केंद्र पधर व बरोट  के कुछ क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो बाकी के क्षेत्रों में हालात बदतर हैं। 


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kirti

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