हिमाचली सेब को 45 रुपए देने में भी आनाकानी, विदेशी पर लुटा दिए 71 रुपए

punjabkesari.in Monday, Feb 10, 2020 - 10:29 AM (IST)

शिमला (ब्यूरो): भारत ने बीते सीजन के दौरान दुनिया के 22 देशों से 71.09रुपए प्रति किलो के हिसाब से सेब आयात किया और हिमाचली सेब को 45 रुपए प्रति किलो औसत भाव मिला है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की नवम्बर तक की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में कुल 1.17 करोड़ पेटी (2.35 लाख मीट्रिक टन) सेब आयात किया गया है जोकि वर्ष 2017 व 2018 की तुलना में बहुत कम है, वहीं हिमाचल में भी वर्ष 2019 में सेब की फसल कम थी, बावजूद इसके प्रदेश के बागवानों को सेब के अच्छे दाम नहीं दिए गए। सीजन के दौरान सेब के भाव में बनावटी गिरावट दिखाकर हिमाचली बागवानों को ठगा गया है। देशभर के बड़े खरीददारों व लदानियों की इस साजिश के कारण हिमाचल के 4200 करोड़ से ज्यादा के सेब उद्योग को तकरीबन 1000 करोड़ रुपए का नुक्सान उठाना पड़ा है। बता दें कि ईरान और चिल्ली से सबसे ज्यादा सेब आयात किया गया है। इन दोनों देशों की तुलना में हिमाचली सेब को क्वालिटी में कहीं बेहतर माना जाता है। फिर भी विदेशी सेब को तकरीबन 25 रुपए प्रति किलो ज्यादा भाव पर खरीदा गया।

कब-कब कितना सेब किया गया आयात
इस सीजन में कुल 1.17 करोड़ पेटी सेब विभिन्न देशों से आयात किया गया जबकि वर्ष 2018 में 2.45 करोड़ पेटी और वर्ष 2017 में 2.37 करोड़ पेटी सेब आयात किया गया था। इन दोनों सालों में इतना अधिक सेब आयात होने के बाद भी प्रदेश के बागवानों को सेब के अच्छे भाव मिले थे लेकिन वर्ष 2019 में बीते 2 सालों की तुलना में 50 प्रतिशत कम सेब आयात के बावजूद हिमाचली सेब को अच्छे दाम नहीं मिल पाए।

जानें यू.एस.ए. से क्यों कम सेब किया गया आयात
यू.एस.ए. के सेब पर वर्ष 2019 में केंद्र ने आयात शुल्क 50 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया है। इस कारण वर्ष 2019 में यू.एस.ए. से बहुत कम सेब आयात किया गया। राहत की बात यह है कि बीते 2 सालों से चीन के सेब पर प्रतिबंध लगा हुआ है। यदि चीनके सेब आयात पर प्रतिबंध हट जाता है तो हिमाचल का सेब उद्योग पूरी तरह से उजड़ जाएगा।

मोदी ने नहीं निभाया अपना वायदा
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले सुजानपुर रैली के दौरान सेब पर आयात शुल्क 50 से बढ़ाकर 150 फीसदी करने का वायदा किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी तकरीबन 5 बार हिमाचल के अलग-अलग क्षेत्रों में आ चुके हैं लेकिन उन्होंने आज तक अपना वायदा नहीं निभाया। हिमाचली बागवान इसके बढऩे का इंतजार कर रहे हैं।

 

 


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kirti

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