आंखों देखी तबाही को बयां करते हुए रो पड़े सैंज के लोग, बोले-एक झटके में सब हुआ खत्म

punjabkesari.in Saturday, Jul 15, 2023 - 11:15 PM (IST)

सैंज (कुल्लू) (शम्भू प्रकाश): आंखों के सामने खून-पसीने की कमाई से खड़े किए आशियाने, व्यापारिक प्रतिष्ठान व अन्य संपत्ति नदी में समाती रही और बेबस लोग बस देखते ही रह गए। तबाही लेकर आई उफनती नदी के सामने आखिर चलती भी किसकी। सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि कुछ सामान, सामग्री बचाने तक का मौका न मिल सका। सैंज में तबाही के मंजर, आंखों देखी विनाशलीला को बयां करते हुए लोगों के आंसू निकल आए। अपना सब कुछ गंवाने वाले लोग बस अब किसी तरह जिंदगी गुजारने को विवश हो गए हैं। सैंज में प्रभावित ज्ञान चंद ने बताया कि अब कुछ अचानक हुआ और संभलने तक का मौका नहीं मिल सका। सीटियां बजाकर लोगों ने सभी को आगाह किया। अब किसी मकान में कोई किराएदार या कोई अन्य व्यक्ति रह तो नहीं गया है, इसका कोई पता नहीं। शर्मा का अपना भवन भी बाढ़ में बह गया। इलाके में 40 के करीब दुकानें और 32 से अधिक मकान खत्म हो गए। 
PunjabKesari

भूमि कटाव से पुनर्वास कार्य असंभव
पुनर्वास के सवाल पर ये लोग कह रहे हैं कि नदी ने जिस प्रकार से भू-कटाव किया है, उससे यह कार्य असंभव सा लग रहा है। लोगों ने कहा कि एक झटके में सब कुछ खत्म हो गया। जो घर बच गए, उनमें मलबा, रेत व पत्थर भर गए हैं। लोग अब मलबे को निकालने में लगे हैं। लोगों का कहना है कि इस कार्य के लिए और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए पैरामिलिटरी फोर्स की यहां तैनाती होनी चाहिए। बिजली-पानी के बिना जिंदगी दूभर सी हो गई है।

जयराम ठाकुर ने लोगों का दुख-दर्द बांटा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने पिछले दिनों इलाके का हैलीकॉप्टर से निरीक्षण किया और राहत सामग्री हैलीकॉप्टर से इलाके में भिजवाई। अब पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शनिवार को सैंज पहुंचकर लोगों का दुख-दर्द बांटा। बीते रोज लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और सांसद प्रतिभा सिंह सैंज गए थे। व्यथा सुनाते हुए लोगों के इस दौरान आंसू छलक पड़े।

मणिकर्ण के कुछ इलाकों में राशन खत्म
उधर, पार्वती घाटी के तोष इलाके से लौटे होटल कारोबारी अनिल कांत शर्मा रैस्क्यू करके हाथीथान पहुंचे। सैलानियों राजन सेठी, कुलदीप कुमार, गौरव त्रिपाठी और रमन पाठक ने बताया कि घाटी में मणिकर्ण, कसोल, तोष, बरशैणी व पुलगा सहित कई इलाकों में राशन की दुकानों में राशन तक खत्म हो गया है। लोगों के घरों में भी राशन का स्टॉक खत्म है। ऐसे में भूखे मरने की नौबत आ रही है। रसोई गैस सिलैंडर तक नहीं मिल पा रहे हैं। घाटी में फंसे हुए कई पर्यटकों को इस वजह से खाना भी महंगा मिला। कई लोगों ने जो था वह खिलाया और पैसे भी नहीं लिए। उसके बाद राशन व अन्य खाद्य सामग्री खत्म होने की बात कही और अपनी मजबूरी बताई। उधर, राशन वितरण वाला महकमा हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। इन लोगों ने कहा कि महकमे और प्रशासन को चाहिए था कि घोड़ों-खच्चरों पर अंतिम क्षेत्र तक आटा, चावल, नमक व चीनी आदि पहुंचाए। नमक डालकर लोग ब्लैक टी के साथ भी रोटी खा सकते थे और वहां फंसे पर्यटक भी किसी तरह भागने को विवश न होते।

क्या कहते हैं डीसी कुल्लू
डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग ने कहा कि सैंज के शाक्टी मरौड़ सहित जो ग्रामीण इलाके यातायात के लिए पूरी तरह से कटे हुए हैं, वहां राशन पहुंचाने का कार्य खच्चरों के माध्यम से तुरंत आरम्भ किया जाए। ज़रूरत पडऩे पर हैलीकॉप्टर की मदद से आवश्यक सामग्री पहुंचाई जाएगी। 

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Related News