बिना योजना बनाए गांवों में लगवा दिए डस्टबिन, कूड़ा उठाने वाला कोई नहीं

punjabkesari.in Saturday, Sep 08, 2018 - 10:37 PM (IST)

धर्मशाला: स्वच्छ भारत अभियान के तहत मंत्रियों व विधायकों के नाम से गांव-गांव स्थापित किए गए डस्टबिनों से बुद्धिजीवी हैरत में हैं। बिना किसी योजना के गांव से लेकर शहरों तक लगाए गए इन डस्टबिन से कूड़ा उठाने व रखरखाव करने वाला कोई नहीं है। हालांकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत सरकार पंचायतों में लाखों रुपए के बजट का प्रावधान करती है। अगर शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो गांव के लोग सरकार की योजना बारे पूरी जानकारी न होने के चलते इन कूड़ादानों में कूड़ा डालने से भी परहेज कर रहे हैं। इतना ही नहीं, मंत्री व विधायकों के नाम से लगाए गए कूड़ादानों का रखरखाव सही ढंग से न होने के चलते क्षेत्र कुछ शरारती तत्वों द्वारा डस्टबिन को तोड़कर नीचे फैंका गया है, जिसे उठाने वाला कोई भी नहीं है।

पंचायत प्रतिनिधियों को भी नहीं मिले दिशा-निर्देश
शाहपुर क्षेत्र के बुद्धिजीवियों की मानें तो सरकार द्वारा बिना योजना के गांव व शहर में लगाए गए इन कूड़ादानों को खाली करने और इनके रखरखाव का जिम्मा लेने को भी कोई तैयार नहीं है। जिन जगहों पर भी डस्टबिन लगाए गए हैं, लोग उनमें कूड़ा न फैंक कर अपनी मर्जी से इधर-उधर की कूड़ा फैला रहे हैं। उल्लेखनीय है कि विधानसभा क्षेत्र शाहपुर के तहत आने वाली विभिन्न पंचायत प्रतिनिधियों को भी अभी तक इनके रखरखाव बारे कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं।

सार्वजनिक स्थानों पर अधिक संख्या में लगे हैं कूड़ादान
बता दें कि मंत्रियों व विधायकों के नाम लिखे गए इन कूड़ादानों को सार्वजनिक स्थानों पर अधिक संख्या में लगाया गया है। क्षेत्र के बुद्धिजीवियों की बात करें तो सरकार के इस निर्णय से वह स्वयं हैरत में हैं कि बिना योजना के ऐसे कूड़ादान सरकार ने जगह-जगह तो रखवा दिए हैं, परंतु इन्हें साफ करने के लिए एक भी सफाई कर्मचारी अभी तक तैनात नहीं किया गया।

पंचायत प्रतिनिधि तैनात कर सकते हैं कर्मचारी
विकास खंड रैत के बी.डी.ओ. मुनीष चौधरी ने बताया कि शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों में लगाए गए कूड़ादानों से कूड़ा निकालने के लिए पंचायत प्रतिनिधि सफाई कर्मचारी तैनात कर सकते हैं क्योंकि क्षेत्र की प्रत्येक पंचायत को फंड मुहैया करवाया जाता है, ताकि व फंड का इस्तेमाल सही तरीके से कर सकें। ऐसा भी हो सकता है कि पंचायत प्रतिनिधियों को सही और पूरी जानकारी न होने के चलते डस्टबिनों का सही तरह से रखरखाव नहीं हो रहा हो और ग्रामीण उसमें कूड़ा डालने में परहेज कर रहे हों।


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Vijay

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