हिमाचल के चिकित्सकों ने बनाई संयुक्त संघर्ष समिति, वेतन आयोग की सिफारिशों का किया विरोध

punjabkesari.in Tuesday, Jan 11, 2022 - 10:39 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्ज संघ के प्रदेश महासचिव डा. पुष्पेंद्र वर्मा ने कहा कि प्रदेश के सभी चिकित्सक चाहे वे मेडिकल काॅलेजों का शिक्षक वर्ग है, चाहे मेडिकल कॉलेज के रैजीडैंट डाॅक्टर्स हैं या फिर फील्ड के स्वास्थ्य संस्थानों के डाॅक्टर हैं, सभी पे कमीशन विसंगतियों के विरोध में एकजुट हैं। डाॅ. पुष्पेंद्र वर्मा ने कहा कि इन सभी प्रदेश चिकित्सक संघों की एक संयुक्त संघर्ष समिति पिछले दिनों बन गई है और उसकी एक वर्चुअल बैठक भी संपन्न हो चुकी है। संयुक्त संघर्ष समिति में प्रदेश के सभी मैडीकल कालेजों के शिक्षक, चिकित्सक संघ, सभी रैजीडैंट डाॅक्टर संघ सम्मिलित हैं। इसके अलावा प्रदेश महासचिव ने बताया कि हिमाचल प्रदेश डैंटल मेडिकल ऑफिसर्ज संघ तथा हिमाचल प्रदेश वैटर्नरी चिकित्सक संघ भी इस संयुक्त संघर्ष समिति के प्रमुख सदस्य हैं। संयुक्त संघर्ष समिति ने बैठक में यह फैसला लिया कि हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्ज संघ की तरफ  से जो पत्र मुख्यमंत्री को लिखा गया है, उसके तहत इस वेतन आयोग की वेतन विसंगतियां जो कि चिकित्सकों के हितों पर कुठाराघात हैं, उनको जल्द से जल्द दूर किया जाए। 

चिकित्सकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही सरकार

चिकित्सक संघ ने सरकार को यह भी बताया कि कोरोना की लहर का कहर पूरे प्रदेश के लोगों पर बरप रहा है और ऐसे में हमारे चिकित्सक कोविड-19 महामारी में लगातार सेवाएं दे रहे हैं। बावजूद इसके सरकार चिकित्सकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। वेतन आयोग की सिफारिशों में यह स्पष्ट देखने को मिल रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण एक और यह है कि 2 साल पूरे कर चुके सभी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को नियमित करने की अधिसूचना सभी विभागों में जारी हो गई है और लोगों ने ज्वाइन भी कर लिया है लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में आज दिन तक 2 साल पूरा कर चुके हुए स्वास्थ्य कर्मी, चिकित्सक, नॢसज व फील्ड के स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपनी रैगुलर नियुक्ति की बाट जोह रहे हैं।

प्रदेश में कई वर्षों से चिकित्सक शिक्षक वर्ग की पदोन्नति रुकी

प्रदेश के मैडीकल कालेज के चिकित्सक शिक्षक वर्ग की पदोन्नति कई वर्षों से रुकी पड़ी है। ऊपर से उनके घाव पर नमक छिड़कने के लिए मैडीकल कालेजों में कमीशन की तरफ  से सीधे एसोसिएट प्रोफैसर के पदों पर भर्ती के फरमान जारी किए जा रहे हैं, जोकि सरासर गलत और अन्यायपूर्ण कदम है। प्रदेश के विशेषज्ञ कई वर्षों से अपने पीजी अलाऊंस को बढ़ाने की बात सरकार से कर चुके हैं, जो कई वर्षों से महज 7,000 रुपए हैं। इसी तरह अब जब नए आयोग की सिफारिशों को लागू करने की अधिसूचना जारी हुई है तो उसमें चिकित्सकों की चाहे वे किसी भी विभाग के हैं, कैसे वेतन की गणना की जानी चाहिए, उसको भी स्पष्ट तरीके से नहीं अधिसूचित किया गया है, जिससे प्रदेश के सभी विभागों के चिकित्सक और क्लैरिकल स्टाफ दुविधा में फंसा हुआ है।

वेतन विसंगति को जल्द किया जाए दूर

संघर्ष समिति ने सरकार से इस वेतन विसंगति को जल्द दूर करने की मांग की है और चिकित्सकों के एनपीए को पहले की तर्ज पर 25 प्रतिशत ही रहने दिया जाए। डाॅक्टरों के 4-9-14 टाइम स्केल को लागू किया जाए और दूसरी मांगों को भी जल्द पूरा किया जाए। संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक में टांडा मेडिकल काॅलेज चिकित्सक शिक्षक संघ, टांडा मेडिकल काॅलेज रैजीडैंट डाॅक्टर एसोसिएशन, नाहन मेडिकल काॅलेज रैजीडैंट डाॅक्टर्स एसोसिएशन, नाहन मेडिकल काॅलेज चिकित्सक शिक्षक संघ, शिमला मेडिकल काॅलेज चिकित्सक शिक्षक संघ, शिमला मेडिकल काॅलेज रैजीडैंट संघ, नाहन मेडिकल काॅलेज चिकित्सक शिक्षक संघ, नाहन मेडिकल काॅलेज रैजीडैंट एसोसिएशन, मंडी नेरचौक मेडिकल काॅलेज रैजीडैंट डाॅक्टर्स एसोसिएशन और चमबा मेडिकल काॅलेज चिकित्सक शिक्षक संघ और रैजीडैंट डाॅक्टर्ज संघ के पदाधिकारी मौजूद रहे।

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Content Writer

Vijay

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