Kangra: पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल लाइन को ब्रॉडगेज करने का सर्वे पूरा : रेल मंत्री

punjabkesari.in Wednesday, Dec 17, 2025 - 03:41 PM (IST)

धर्मशाला: 200 किलोमीटर लंबी पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज लाइन को ब्रॉडगेज लाइन में कन्वर्ट करने का सर्वे कार्य पूरा कर लिया गया है तथा इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है। 57 किलोमीटर लंबी जोगिंद्रनगर रेलवे लाइन का सर्वे करवाया गया है लेकिन इसमें ट्रैफिक कम आंका गयी है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कांगड़ा लोकसभा सदस्य डॉक्टर राजीव भारद्वाज को सदन में यह जानकारी दी।

रेल मंत्री ने बताया कि बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाइन को रक्षा मंत्रालय ने सामरिक महत्व की परियोजना के रूप में चिन्हित किया है। उन्होंने बताया कि इस रेल लाइन का सर्वे पूरा कर लिया गया है और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। उन्होंने बताया कि 1,31,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत की इस परियोजना के अंतर्गत 489 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन निर्मित होगी, जिसमें 270 किलोमीटर लंबी लाइन टनलों के बीच से गुजरेगी।

उद्घाटन कर दिया, अब रेल भी चला दो
स्वाभिमान पार्टी के प्रदेश मंत्री रमेश भाऊ तथा पालमपुर उपमंडल उपाध्यक्ष धर्म सिंह कपूर ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि वर्ष 1925 में अंग्रेजों ने मात्र 3 वर्ष 3 माह में पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज लाइन का निर्माण पूरा कर दिया था, जबकि उस समय आधुनिक तकनीकें उपलब्ध नहीं थीं। इसके विपरीत वर्तमान केंद्र सरकार को चक्की का पुल बनाने में ही 4 वर्ष से अधिक समय लग गया। उन्होंने कहा कि करीब 2 माह पूर्व भाजपा नेताओं द्वारा पपरोला रेलवे स्टेशन पर धूमधाम से उद्घाटन किया गया, लेकिन अब तक पूरी रेल सेवाएं शुरू नहीं हो पाई हैं।

जानकारी के अनुसार रेलवे विभाग द्वारा इंजन का ट्रायल भी हो चुका है और पूरी लाइन यातायात के लिए सुरक्षित पाई गई है। उन्होंने याद दिलाया कि 4 वर्ष पूर्व बैजनाथ-पपरोला से पठानकोट तक प्रतिदिन 5 गाड़ियां चला करती थीं, जिनकी आज भी क्षेत्र को सख्त आवश्यकता है। रेल सेवा बंद होने से गरीब और मध्यम वर्गीय जनता को भारी बस किराया देना पड़ रहा है, जिससे वे आर्थिक रूप से परेशान हैं।

न बदला जा सकता, न सुधारा
उधर पंचरुखी निवासी सतीश शर्मा बताते हैं कि कांगड़ा घाटी रेलवे हिमाचल प्रदेश की एक ऐतिहासिक धरोहर है। दुर्भाग्यवश आधुनिक विकास की दौड़ में यह उपेक्षा का शिकार होती जा रही है। यह तथ्य सर्वविदित है कि भौगोलिक परिस्थितियों और तकनीकी सीमाओं के कारण कांगड़ा घाटी रेलवे को ब्रॉडगेज में परिवर्तित करना आवश्यक है। किंतु यह सोच भी उतनी ही खतरनाक है कि जो बदला नहीं जा सकता, उसे सुधारा भी नहीं जा सकता। आवश्यकता इस बात की है कि इस ऐतिहासिक रेल मार्ग को दिल्ली मैट्रो की तर्ज पर कुशल संचालन और उच्च स्तरीय रखरखाव के साथ विकसित किया जाए।

सतीश कहते हैं कि कांगड़ा घाटी धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक पर्यटन की अपार संभावनाओं से भरपूर है। बेहतर रेल सेवाएं इन संभावनाओं को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्रीय विकास को नया आधार प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि कांगड़ा घाटी रेलवे को बोझ नहीं, बल्कि विकास की धरोहर के रूप में देखा जाए।


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Content Writer

Kuldeep

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