कांग्रेस ही नहीं BJP में भी मिला कर्ण सिंह को बराबर सम्मान

punjabkesari.in Saturday, May 13, 2017 - 10:28 AM (IST)

शिमला: वर्तमान कांग्रेस सरकार में 11वें मंत्री के तौर पर आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री का दायित्व संभालने वाले कर्ण सिंह के आकस्मिक निधन से पक्ष-विपक्ष सहित आम आदमी सदमे में है। यह सिंह के काम करने का तरीका ही था कि उनको कांग्रेस की तरह भाजपा ने भी अंतिम समय तक बराबर सम्मान दिया। इसी कारण उन्हें मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार और पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा-हिविकां गठबंधन सरकार में मंत्री के तौर पर काम करने का मौका मिला। सिंह कांग्रेस सरकार में मंत्री होने के बाद भी विपक्षी भाजपा के निशाने पर नहीं रहे। इसी कारण भाजपा की तरफ से हाल ही में राज्यपाल को सौंपी गई चार्जशीट में उनका उल्लेख तक नहीं था। 


सिंह के आकस्मिक निधन से बंजार विधानसभा सीट हुई खाली
कांग्रेस भी बंजार विधानसभा सीट को सिंह की बदौलत ही 15 साल के लंबे अंतराल के बाद जीत पाई थी। यह सीट उन्होंने रिकॉर्ड 9,835 वोटों के अंतर से जीती थी। अब सिंह के आकस्मिक निधन से बंजार विधानसभा सीट खाली हो गई है। सूत्रों के अनुसार विधानसभा चुनाव की अवधि कम रहने से अब उपचुनाव की संभावना कम है। विधानसभा उपचुनाव न होना कांग्रेस-भाजपा दोनों के हित में है क्योंकि चुनाव की दहलीज पर कोई भी पार्टी सीट को गंवाना नहीं चाहेगी। विशेषकर सत्तारूढ़ कांग्रेस इस उपचुनाव को नहीं चाहेगी क्योंकि वह पहले ही 2 उपचुनाव हार चुकी है। निर्वाचन विभाग की तरफ से बंजार विधानसभा सीट खाली होने की सूचना केंद्रीय चुनाव आयोग को दी जाएगी। इसके बाद यदि केंद्रीय चुनाव आयोग इससे संबंधित कोई जानकारी राज्य के निर्वाचन विभाग से मांगेगा तो उस पर टिप्पणी की जाएगी। अन्यथा अपनी तरफ से राज्य निर्वाचन विभाग चुनाव को करवाने की कोई सिफारिश नहीं करेगा।


32 साल की उम्र में बने थे विधायक 
सिंह 32 साल की उम्र में बंजार क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर विधायक बने थे। वह भाजपा की टिकट पर इसलिए प्रत्याशी बनाया गया था कि उनके बड़े भाई महेश्वर सिंह जो कि बंजार के विधायक थे और उन्हें जनता पार्टी द्वारा लोक सभा प्रत्याशी बनाया गया था। उन्होंने पुणे ग्वालियर से राजनीति शास्त्र में स्नातक की शिक्षा पूरी की थी और निजी कम्पनी में नौकरी भी की। कर्ण बंजार क्षेत्र को ही अपनी रणभूमि मानते थे इसलिए उन्होंने बंजार क्षेत्र के विकास में अपनी अभूतपूर्व भागीदारी सुनिश्चित की। 


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