हिमाचल सरकार ने 3 वर्षाें में अपने संसाधनों से कमाए 26683 करोड़ रुपए : सीएम सुक्खू

punjabkesari.in Saturday, Dec 20, 2025 - 06:57 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने पिछले 3 वर्षाें में अपने संसाधनों से 26683 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया है, जो पिछली भाजपा सरकार के औसत राजस्व से 3800 करोड़ रुपए अधिक है। सत्ता में आने के बाद राज्य सरकार ने शराब के ठेकों के लिए नीलामी-सह-निविदा प्रणाली लागू की, जिससे 5408 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि पिछली सरकार के कार्यकाल में यह आय केवल 1114 करोड़ रुपए थी। भाजपा सरकार ने ठेकों की नीलामी नहीं की और केवल लाइसैंस शुल्क में 10 फीसदी वार्षिक वृद्धि के साथ नवीनीकरण की नीति अपनाई। ठेकों की नीलामी से राज्य कोष में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो भाजपा शासनकाल में कभी देखने को नहीं मिली। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला से जारी बयान में कहा कि वर्तमान सरकार को विरासत में मिले कर्ज को चुकाने के लिए लगभग 70 फीसदी आय का वहन करना पड़ रहा है, जिसमें 12266 करोड़ रुपए ब्याज और 8087 करोड़ रुपए मूलधन शामिल हैं। अब तक सरकार की तरफ से लिए गए 29046 करोड़ रुपए के ऋण में से केवल 8693 करोड़ रुपए ही विकास कार्यों के लिए उपलब्ध हो पाए हैं।

भाजपा सरकार ने छोड़ा 75000 करोड़ कर्ज व कर्मचारियों की 10000 करोड़ की देनदारियां
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पूर्व भाजपा सरकार अपने वित्तीय कुप्रबंधन के कारण वर्तमान कांग्रेस सरकार पर 75000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज और 10000 करोड़ रुपए से अधिक की कर्मचारियों की देनदारियों के रूप में छोड़ गई थी। केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को उनके राजस्व और व्यय के बीच के अंतर को पूरा करने के लिए हर वर्ष राजस्व घाटा अनुदान प्रदान किया जाता है परन्तु प्रदेश सरकार के लिए यह खेद का विषय है कि हिमाचल को मिलने वाले इस अनुदान को केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 में घटाकर 3256 करोड़ रुपए तक सीमित कर दिया, जबकि वर्ष 2021-22 में यह अनुदान 10249 करोड़ रुपए था।

चंडीगढ़ की भूमि व परिसंपत्तियों पर हिमाचल का 7.19 फीसदी हिस्सा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि चंडीगढ़ की भूमि और परिसंपत्तियों में राज्य के वैध 7.19 फीसदी हिस्से को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2011 में हिमाचल प्रदेश के इस अधिकार को मान्यता दी है। इसके साथ ही बीबीएमबी से लंबित ऊर्जा बकाया राशि की वसूली के लिए भी राज्य सरकार सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सभी जनप्रतिनिधियों, जिनमें विधायक भी शामिल हैं, को हिमाचल भवन और राज्य अतिथि गृहों में सामान्य दरों पर किराया देना अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा निविदा प्रक्रिया की समय-सीमा 51 दिनों से घटाकर 30 दिन कर दी गई है। ऐसे अनेक निर्णय लिए गए हैं, जिनका उद्देश्य मौजूदा संसाधनों से आय बढ़ाना है।

वाइल्ड फ्लावर हॉल व कड़छम-वांगतू की कानूनी लड़ाई जीती
मुख्यमंत्री ने कहा कि वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति के स्वामित्व को लेकर 23 वर्षों से चली आ रही लंबी कानूनी लड़ाई का सकारात्मक परिणाम अक्तूबर, 2025 में उच्च न्यायालय के फैसले के रूप में सामने आया। अदालत ने मशोबरा रिजॉर्ट्स लिमिटेड (एमआरएल) के स्वामित्व अधिकार राज्य सरकार को सौंपा। इस फैसले से राज्य को लगभग 401 करोड़ रुपए का वित्तीय लाभ मिला है, जिसमें 320 करोड़ रुपए की बैंक जमा और शेयर होल्डिंग्स शामिल हैं। इससे राज्य को प्रतिवर्ष 20 करोड़ रुपए से अधिक की आय भी होगी। राज्य सरकार के निरंतर प्रयासों से 1000 मैगावाट कड़छम-वांगतू जल विद्युत परियोजना में राज्य को मिलने वाली रॉयल्टी 12 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी हो गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने जेएसडब्ल्यू एनर्जी को 18 फीसदी रॉयल्टी देने के निर्देश दिए हैं, जिससे राज्य को प्रतिवर्ष 150 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रमुख परियोजनाओं, विशेषकर जलविद्युत परियोजनाओं के लिए भूमि पट्टे की अवधि को 99 वर्षों से घटाकर 40 वर्ष कर दिया है, ताकि राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त हो सके। 40 वर्षों के बाद 66 मैगावाट धौलासिद्ध, 210 मैगावाट लुहरी चरण-1 और 382 मैगावाट सुन्नी जल विद्युत परियोजनाएं राज्य को वापस मिलेंगी, जिससे प्रदेश की आय में और वृद्धि होगी। राज्य सरकार जोगिंद्रनगर स्थित शानन जल विद्युत परियोजना के स्वामित्व के लिए भी प्रयासरत है, जिसका 99 वर्षीय पट्टा मार्च, 2024 में समाप्त हो चुका है।

वर्ष 2032 में सबसे समृद्ध राज्य बनेगा हिमाचल
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इन सभी पहलों से स्पष्ट है कि वर्तमान सरकार हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2027 तक राज्य को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाना और वर्ष 2032 तक देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाना है। इसके लिए आर्थिक सुधारों, हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने और राज्य के कर्ज के प्रभावी प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।


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Vijay

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