CM के घर में मौसम की मार से सेब बागवान परेशान. मांगी एंटी हेलगन

punjabkesari.in Friday, Jul 27, 2018 - 12:43 PM (IST)

मंडी (नीरज): हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला में जहां सेब का सीजन शुरू हो गया है वहीं मंडी जिला की सराजघाटी का सेब 10 अगस्त तक मार्किट में पहुंचने की उम्मीद है। प्रदेश सहित मंडी जिला में भी सेब की काफी कम पैदावार हुई है। सीएम जयराम ठाकुर के गृहक्षेत्र के बागवान एंटी हेलगन लगने का इंतजार कर रहे हैं। बागवानों का कहना है कि इससे सेब के पौधों की सही ग्रोथ नहीं हो रही है। बागवानी मंत्री ने जल्द सराजघाटी सहित मंडी, कुल्लू और शिमला जिला में 20 एंटी हेलगन लगाने की बात कही है। वहीं मौसम की मार के कारण प्रदेश सहित सराजघाटी में भी सेब का उत्पादन कम होता जा रहा है। 
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बागवान बता रहे हैं कि इस बार मात्र 25 से 30 प्रतिशत पैदावार ही हुई है और कम पैदावार के लिए मौसम की मार सबसे बड़ा कारण मानी जा रही है। समय पर बर्फबारी न होना और काफी कम बर्फबारी होना इसकी मुख्य वजह है। वहीं घाटी में पिछले कुछ वर्षों से जलवायु परिवर्तन के कारण भी सेब की पैदावार घटती जा रही है। जहां घाटी से हर वर्ष जहां 1500 से 2000 हजार ट्रक मार्किट पहुंचते थे वहीं अब मात्र 250 से 300 ट्रक की निकलने की उम्मीद है। कम पैदावार को देखते हुए घाटी के बागवानों ने कर्ज के ब्याज में माफी की गुहार भी राज्य सरकार से लगाई है।
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इस वक्त सराजघाटी के बागवान यहां एंटी हेलगन का इंतजार कर रहे हैं। मौसम की मार से बचने के लिए सरकार ने बागवानों को एंटी हेलनेट की सुविधा सब्सिडी पर मुहैया करवाई है लेकिन बागवान अब इस तकनीक को नकारते हुए नजर आ रहे हैं। बागवानों के अनुसार इससे सेब के पौधों की सही ढंग से ग्रोथ नहीं हो रही है और सेब का पौधा उपर जाने के बजाए नीचे की तरफ मुड़ रहा है। इन्होंने सरकार से सराजघाटी में जल्द से जल्द एंटी हेलगन स्थापित करने की गुहार लगाई है।
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सराजघाटी के बागवानों की समस्या को लेकर जब बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार से 20 एंटी हेलगन के लिए धनराशि मंजूर करवा दी गई है। यह हेलगन मंडी, कुल्लू और शिमला जिलों में लगाई जाएंगी ताकि बागवानों को मौसम की मार से बचाया जा सके। बता दें कि मंडी जिला में सराजघाटी ही एक ऐसा इलाका है जहां सेब की पैदावार काफी बड़े स्तर पर होती है। हालांकि जिला के दूसरे इलाकों में भी सेब के बगीचे हैं लेकिन वहां इतनी अधिक पैदावार नहीं होती। यही कारण है कि घाटी के बागवान सरकार से ढेरों उम्मीदें लगाए बैठे हैं।


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Ekta

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