कांग्रेस को पुराने कार्यकर्ताओं व भाजपा को अंर्तकलह से पार पाने की चुनौती
punjabkesari.in Friday, Jul 23, 2021 - 10:53 AM (IST)

फतेहपुर (स.ह.) : जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते दिख रहे हैं वैसे ही पार्टियों की अंर्तकलह उभरकर सामने आने शुरू हो गई है। नेता या मंत्री चाहे जितना भी छिपाने की कोशिश कर लें, लेकिन ये पब्लिक है ये सब जानती है। ऐसे ही हालात अब अर्की तथा फतेहपुर में भी दिखते नजर आ रहे हैं। एक तरफ वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस को संगठित करना पार्टी हाई कमान के लिए टेडी खीर लग रही है, तो दूसरी ओर उपचुनावों में जीत दर्ज करना भी कोई आसान नहीं है। अगर फतेहपुर की बात करें तो कांग्रेस में एक तरफ परिवारवाद का मुद्दा तो दूसरी ओर पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी कहीं न कहीं पार्टी को नुकसान दे सकती है। वहीं अगर सशक्त उम्मीदवारों में टिकट के चाह्वानों की बात करें तो मैदान में कुछ टिकट के चाह्वान ऐसे हैं जिनका क्षेत्र की जनता में एक अच्छी पकड़ है तो कुछेक टिकट की चाहत तो रखते हैं परंतु ग्राउंड स्तर पर बहुत कमजोर दिख रहे हैं या यूं कहिए कि ग्राउंड स्तर पर जीरो हैं।
वहीं अगर बात भाजपा की बात करें तो पार्टी अपने स्तर पर अंर्तकलह को दूर करने की कोशिश तो कर रही है पर कार्यकर्ताओं में एक दूसरे के प्रति नफरत का गुबार आखिर निकल ही आ रहा है। बता दें कि कुछ दिन पहले भाजपा के एक मंत्री ने रैहन के पास एक कार्यक्रम किया और उसमें भाजपा समर्थित एक पंचायत प्रधान ने एक भाजपा नेता के खिलाफ कुछ ऐसी टिप्पणी की कि मंत्री साहब को मीडिया के समक्ष सफाई देनी पड़ी कि कार्यक्रम में भाजपा मंडल व प्रमुख नेता को तो बुलाया था, परंतु वे जरूरी काम के चलते नहीं आ पाए, जबकि मंडल अध्यक्ष ने साफ कहा था कि उन्हें कार्यक्रम की जानकारी नहीं दी गई थी। बता दें कि यहां कार्यक्रम चल रहा था वहां से भाजपा मंडल अध्यक्ष का घर करीब 1 से 2 किलोमीटर है जबकि उस कार्यक्रम में भाजपा के 10 से 15 किलोमीटर दूर तक के कार्यकर्ता भी आए थे। भाजपा चाहे जो भी हथकंडे अपना ले लेकिन उन्हें महंगाई या बेरोजगारी जैसे मुद्दों से निपटना आसान नहीं रहेगा। वहीं अगर आजाद प्रतियाशी या भाजपा से किनारा कर चुके नेताओं की बात करें तो वे भी भाजपा के रास्ते का कांटा जरूर बनेंगे। चुनावी परिणाम जो भी हों लेकिन पार्टियों को अपने अंदर की कलह दूर करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा।