एक बार फिर पारछु नदी में झील के पास भू-स्खलन से प्रशासन अलर्ट

punjabkesari.in Friday, Jul 17, 2020 - 05:37 PM (IST)

शिमला (योगराज) : भारत तिब्बत चीन बॉर्डर पर भूस्खलन से बनी पारछु लेक में एक बार फिर से ब्लास्ट का खतरा मंडरा रहा है। 2004 में बनी इस झील में 2005 में ब्लास्ट हुआ था जिस वजह से सतलुज नदी में बाढ़ आ गयी थी और तबाही मच गयी थी। हिमाचल प्रदेश साइंस एंड एनवायरनमेंट टेक्नोलॉजी के प्रिंसिपल साइंटिफिक ऑफिसर एसएस रणधावा ने बताया कि पारछु लेक में होने वाले किसी भी परिवर्तन पर सैटेलाइट से निगरानी की जा रही है। जून 2020 में लेक के लेफ्ट बैंक में स्लाइड हो रहा है जिससे भविष्य में कोई भूस्खलन हो सकता है। झील के अवसाद में संचित जल ऊपर की तरफ कुछ पानी के साथ, परिधीय पक्षों से बहता हुआ प्रतीत होता है।

ध्य भाग किसी भी संचय से तुलनात्मक रूप से मुक्त है, परन्तु जहां नीचे की तरफ एक छोटा सा हिस्सा है वहां पर कुछ पानी का संचय को देखा जा सकता है। प्रवाह और बहिर्वाह सामान्य देखा गया है। दो भूस्खलन नदी के किनारे पर देखे गए हैं, जो कि पारछू नदी के बाएं किनारे पर अवसाद के ऊपर की तरफ और दूसरे में पारछू नदी के दाहिने किनारे पर अवसाद के बहाव के किनारे पर है। नदी के दाहिने किनारे पर नीचे की ओर पानी का मामूली संचय देखा जा सकता है, जिसका कारण भूस्खलन का अतिक्रमण हो सकता है। ऊपर की तरफ बायीं ओर भूस्खलन नदी के किनारे का अतिक्रमण करता दिख रहा है लेकिन नदी के प्रवाह में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं देखा जा सकता। इस क्षेत्र को अब अच्छी तरह से जुड़ा हुआ माना जा सकता है, क्योंकि क्षेत्र में सड़क नेटवर्क जैसी विकास संबंधी गतिविधियां विकसित हो रही है। उपग्रह डेटा की व्याख्या के आधार पर, वर्तमान समय में पारछू झील से किसी भी तरह का खतरा प्रतीत नहीं होता है, लेकिन इस बात से भी नकारा नहीं जा सकता है कि भविष्य में कोई खतरा नहीं होगा। झील के जमने तक इसकी नियमित निगरानी की आवश्यकता है।
 


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Edited By

prashant sharma

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