काउ सेंच्यूरी में भूख से 13 गायों की मौत, 28 को होना है उद्घाटन
punjabkesari.in Tuesday, Feb 23, 2021 - 01:47 PM (IST)

नालागढ़ : हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नालागढ़ के तहत हांडा खुड़ी में करोड़ों की लागत से बनाई गई कैटल सैंक्चुअरी का 28 फरवरी को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा उद्घाटन किया जाना है। हालांकि उद्घाटन के पूर्व ही यह काउ सेंच्यूरी चर्चा में आ गई है। यहां गायों की भूख के कारण मौत हुई है। बता दे कि इस कैटल सैंक्चुअरी का निर्माण 3 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। गौ रक्षकों ने सीएम हेल्पलाइन 1100 पर एक शिकायत दर्ज करवाई है। कैटल सैंक्चुअरी में एक के बाद एक पशुओं के मरने की खबरें आ रही हैं। एक दर्जन से ज्यादा पशुओं की मौत हो चुकी है, जिसका एक वीडियो भी इन दिनों वायरल हो रहा है।
कैटल सैंक्चुअरी में पशुओं के खाने-पीने और रहने की उचित व्यवस्था नहीं है और इस वजह से भूख के कारण पशुओं की मौत हो रही है। गौ रक्षा दल के प्रदेश अध्यक्ष डीडी राणा ने सीएम हेल्पलाइन नंबर 1100 पर शिकायत दर्ज करवाई है। उन्होंने कहा कि काऊ सैंक्चुअरी की व्यवस्था को लेकर जिन लोगों की लापरवाही सामने आई है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। राणा ने बताया कि भूख के कारण पशुओं की मौत हो रही है। उन्होंने कहा कि पशुओं पर किसी भी सूरत में अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पशुपालन उपमंडल अधिकारी बीबी कारकरा का कहना है कि पशुओं के रहने और खाने-पीने की पूर्ण तौर पर व्यवस्था की गई है। बीते 2 माह में 500 के करीब पशुओं को अलग-अलग जगहों से उठाकर कैटल सैंक्चुअरी में रखा गया है। पशुओं को गाड़ियों में चढ़ाते-उतारते भी चोट लग जाती है, जिसके कारण कुछ पशुओं की मौत हुई है। जब इन पशुओं को विभाग की टीम की ओर से इंजेक्शन देकर बेहोश किया जाता है तो यह इंजेक्शन की वजह से पशुओं को उल्टी होनी शुरू हो जाती है और कई बार उल्टी सांस की नाली में फंस जाती है, जिसके कारण भी पशुओं की मौत सामने आई है। कुछ पशुओं की निमोनिया होने के कारण मौत हुई है। बीते 2 माह में 13 पशुओं की मौत हुई है।
तकरीबन 3 करोड रुपए खर्च करके कैटल सैंक्चुअरी का निर्माण करवाया गया है। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो भी कैटल सैंक्चुअरी की खूब वायरल हो रही है, जिसमें मृत पड़े पशुओं को जहां साफ तौर पर देखा जा सकता है। मृत गायें को कैटल सैंक्चुअरी के साथ ही गड्ढे खोदकर दफना दिया गया है। लोगों का सवाल है कि अगर यहां पर पैसा खर्च किया गया है तो पशुओं के रहने खाने पीने की क्यों नहीं व्यवस्था की गई?