Mandi: परिवार और गांव वालों से मिल रहे थे ताने...टूटने नहीं दिया हौसला, तुंगल की सकीना बन गई ''डेयरी क्वीन''
punjabkesari.in Sunday, May 11, 2025 - 12:08 PM (IST)

मंडी: हिमाचल प्रदेश के तुंगल क्षेत्र की युवा उद्यमी सकीना ठाकुर ने यह साबित कर दिया है कि कठिन परिश्रम और सच्ची लगन से विपरीत परिस्थितियों को भी मात देकर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। इतिहास की छात्रा रहीं सकीना ने अपने जज्बे और नवोन्मेषी प्रयासों से आज दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिख दिया है, जो कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही हैं।
कोटली उपमंडल के कून गांव में एक साधारण परिवार में जन्मी सकीना ठाकुर में बचपन से ही उद्यमी सोच थी। राजकीय वल्लभ डिग्री कॉलेज मंडी से इतिहास विषय में एमए की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्हें मंडी में मिलने वाले पतले और निम्न गुणवत्ता वाले दूध ने उच्च गुणवत्ता वाला दूध उपलब्ध कराने का विचार दिया। हालांकि उनके मन में जिम, मॉडलिंग और बॉक्सिंग में करियर बनाने के सपने भी थे और परिवार सरकारी नौकरी के लिए दबाव डाल रहा था। इन विरोधाभासों के बावजूद सकीना ने स्वास्थ्य विभाग की एक परियोजना में सर्वेक्षणकर्ता के रूप में कुछ समय काम किया और उसी नौकरी से संचित धन को दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में निवेश करने का मन बना लिया।
सकीना बताती हैं कि शुरूआत बेहद चुनौतीपूर्ण रही। घर-परिवार से लेकर गांव-चौबारे तक उन्हें सहयोग की अपेक्षा ताने अधिक मिले। एक शिक्षित लड़की का गाय-गोबर का काम करना समाज के एक वर्ग के लिए स्वीकार्य नहीं था और "एक शिक्षित लड़की कैसे गाय-गोबर का काम करेगी" जैसे ताने उन्हें परेशान तो करते, पर ये उनके लक्ष्य पर केंद्रित रहने और ऐसी सोच को गलत साबित करने का जरिया भी बन रहे थे। दुग्ध उत्पादन में आगे बढ़ने का हौसला उन्हें पड़ोसी गांव भरगांव की चिंता देवी ने दिया। इसके अलावा उन्होंने यू-ट्यूब से भी डेयरी क्षेत्र की गहन जानकारी प्राप्त की।
पूंजी जुटाने के लिए सकीना ने अपने पास मौजूद लगभग सवा लाख रुपए की बचत को आधार बनाया। हौसला पहाड़ों से भी ऊंचा था और ऐसे में उन्होंने ग्रामीण बैंक से लगभग दो लाख रुपए का ऋण लिया। जुलाई 2024 में सकीना डेयरी फार्म की शुरूआत हो गई। शुरूआत में परिवार का विरोध झेलने वाली सकीना को अब मां रमा देवी और भाई-बहनों का पूरा साथ मिल रहा है। सकीना ने पंजाब में बठिंडा के समीप गुरविंदर डेयरी फार्म से होलस्टीन फ्रिजियन (एचएफ) नस्ल की गऊएं खरीदीं। यूरोपीय नस्ल की ये गऊएं दूध में प्रोटीन व मक्खन की भरपूर मात्रा के लिए जानी जाती हैं, साथ ही अलग-अलग जलवायु में अनुकूलनशीलता और उत्पादकता में भी बेहतर होती हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादन को निरंतर प्रोत्साहन ने सकीना जैसे युवा उद्यमियों को काफी संबल दिया है। सकीना बताती हैं कि नवम्बर 2024 में उनके गांव में 'द कून महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति' का कार्यालय खुला। हिमाचल प्रदेश राज्य दुग्ध उत्पादक प्रसंघ की ओर से यहां तमाम सुविधाएं एवं उपकरण उपलब्ध करवाए गए, जिनमें दो क्विंटल क्षमता का बल्क मिल्क कूलर, एसएनएफ एनालाइजर, अल्ट्रासोनिक स्टरर, कंप्यूटर आदि शामिल हैं। सकीना इस समिति में दुग्ध प्रापण का कार्य देख रही हैं।
वर्तमान में सकीना अपने फार्म से प्रतिदिन लगभग 112 लीटर (1.12 क्विंटल) दूध प्राप्त कर रही हैं। उनके फार्म में एचएफ नस्ल की 14 गऊएं हैं। उन्होंने लगभग साढ़े 4 लाख रुपए की लागत से एक आधुनिक शेड का भी निर्माण किया है। पशु चारा स्थानीय स्तर के साथ ही पंजाब से भी लाया जाता है। मिल्किंग मशीन व चारा कटर पर उन्होंने करीब 50 हजार रुपए का निवेश किया है। गोबर का उपयोग खाद के रूप में किया जा रहा है और उन्होंने अपने फार्म में एक व्यक्ति को रोजगार भी दिया है।
सकीना के अनुसार उन्हें प्रतिमाह लगभग सवा लाख रुपए तक की आय हो रही है। उनकी सोसायटी से कून के अलावा कोट, लंबीधार, द्रुब्बल, त्रैहड़, माहन इत्यादि गांवों के लगभग 70 परिवार जुड़ चुके हैं। इन सबको मिलाकर सहकारी समिति की आय दो लाख रुपए प्रतिमाह तक पहुंच रही है। राज्य सरकार द्वारा दूध के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी से किसानों की आय भी बढ़ी है और उनका हौसला भी। सकीना को दूध की गुणवत्ता के अनुरूप 41 से 44 रुपए प्रति लीटर का दाम मिल रहा है। उन्होंने गाय के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 51 रुपए करने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया है। वहीं ग्राम पंचायत उपप्रधान विजय कुमार ने सकीना ठाकुर को समाज के लिए एक उदाहरण बताया है। उन्होंने कहा कि इस युवा उद्यमी ने साबित किया है कि कोई भी कार्य छोटा-बड़ा अथवा कठिन नहीं होता।
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