Mandi: परिस्थितियों के आगे नहीं टेके घुटने, आपसी सहयोग से खड्ड पर बना डाला लकड़ी का पुल

punjabkesari.in Sunday, Aug 03, 2025 - 10:42 PM (IST)

थुनाग/मंडी (रजनीश हिमालयन): मंडी जिला के सराज विधानसभा क्षेत्र में 30 जून को आई भीषण आपदा के बाद, जहां चारों ओर तबाही का मंजर था और करीब 30 पुलों के टूटने से दर्जनों गांवों का संपर्क टूट गया था, वहीं सरकार और प्रशासन की तरफ नजरें न लगाकर ग्राम पंचायत झुंडी के जुड़ गांव के ग्रामीणों के साथ गांव की महिलाओं ने हिम्मत और एकता की मिसाल पेश करते हुए उम्मीद का नया रास्ता दिखाया है। गांव के पुरुषों के साथ महिलाओं ने रोपड़ी खड्ड पर आर-पार जाने के लिए अस्थायी रास्ता बना डाला। इस रास्ते के बनने से ग्राम पंचायत झुंडी के जुड़ गांव सहित रोपा, निलमपुर व जाजर गांवों की करीब 600 आबादी की कुछ हद तक परेशानी से छुटकारा मिलेगा।

यह आपदा इतनी विनाशकारी थी कि रोड, मझाखल, खुनागी, सुराह, शिल्हीबागी, ब्रयोगी और चिउणी जैसे कई क्षेत्रों में लोगों ने खुद ही अस्थायी पुल तैयार किए, लेकिन सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर अब तक एक भी पुल नहीं बन पाया है। ऐसे में जुड़ गांव के लोगों ने विपरीत परिस्थितियों के आगे घुटने टेकने से इंकार कर दिया।

महिलाओं ने संभाली कमान
इस बार सबसे बड़ा बदलाव महिलाओं की भागीदारी के रूप में सामने आया। पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाते हुए चुड़ी देवी, बिमला देवी, माला देवी, हंसा देवी, गंगा देवी, लीला देवी, धर्मी देवी और अन्य महिलाओं ने न केवल लकड़ी और अन्य निर्माण सामग्री ढोने में मदद की, बल्कि रस्सियों की गांठ बांधने, पुल की नींव तैयार करने और पूरे दिन शारीरिक श्रम करने में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह सराज की धरती पर महिला शक्ति और स्वाभिमान का एक जीवंत उदाहरण है।

अगर हम नहीं करते तो कौन करता
जुड़ गांव की इन मेहनती महिलाओं ने बताया कि उनके बच्चों को स्कूल जाना था और बीमारों को अस्पताल। उनकी यह भावना कि अगर हम नहीं करते तो कौन करता, यह दर्शाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी सामाजिक जिम्मेदारी और दृढ़संकल्प से कैसे बड़े से बड़े काम किए जा सकते हैं।

एकता और हौसले की जीत
जहां सरकार और प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, वहीं जुड़ गांव सहित सराज के दर्जनों गांवों के लोगों ने यह साबित कर दिया है कि एकता, अटूट हौसला और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। यह घटना सिर्फ एक पुल के निर्माण से कहीं बढ़कर है। यह सामुदायिक भावना और आत्मनिर्भरता का संदेश है, जो दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Kuldeep

Related News