शिमला में मनरेगा व निर्माण मजदूर फैडरेशन ने श्रमिक कल्याण बोर्ड कार्यालय के बाहर बोला हल्ला (Video)

punjabkesari.in Thursday, Dec 02, 2021 - 06:44 PM (IST)

मांगें पूरी न होने पर दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी
शिमला (अंबादत):
प्रदेश मनरेगा व निर्माण मजदूर फैडरेशन ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेशव्यापी हड़ताल की। इस दौरान प्रदेशभर में निर्माणाधीन बिजली परियोजनाओं, फोरलेन, दीपक प्रोजैक्ट, मनरेगा व निर्माण क्षेत्र के हजारों मजदूर हड़ताल पर रहे। प्रदेशभर से आए तीन हजार से ज्यादा मजदूर खलीनी चौक में इकट्ठा हुए व रैली के रूप में श्रमिक कल्याण बोर्ड कार्यालय पहुंचे। हजारों मजदूरों का धरना बोर्ड कार्यालय के बाहर 3 घंटे तक चलता रहा। इस दौरान बोर्ड के कंट्रोलर चेतन पाटिल से सीटू का प्रतिनिधिमंडल मिला व मांग पत्र पर बातचीत की। प्रदर्शन के दौरान यूनियन ने चेताया है कि अगर प्रदेश सरकार व श्रमिक कल्याण बोर्ड ने मजदूरों की मांगों को पूर्ण न किया तो आंदोलन तेज होगा।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, यूनियन अध्यक्ष जोगिंदर कुमार व महासचिव भूपेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकारें लगातार मजदूर विरोधी नीतियां लागू कर रही हैं। मजदूर विरोधी 4 लेबर कोडों को निरस्त करना भी इसी का एक हिस्सा है। 4 लेबर कोडों में निरस्त किए जाने वाले कानूनों में वर्ष 1996 में बना भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कानून भी शामिल है। इस कानून के खत्म होने से देश के करोड़ों मनरेगा व निर्माण मजदूर सामाजिक सुरक्षा के दायरे से बाहर हो जाएंगे व श्रमिक कल्याण बोर्डों के अस्तित्व पर खतरा मंडराएगा। केंद्र व प्रदेश सरकार पहले ही मार्च 2021 में श्रमिक कल्याण बोर्डों के तहत मनरेगा व निर्माण मजदूरों को मिलने वाली सुविधाओं में भारी कटौती कर दी गई है। इसमें वाशिंग मशीन, सोलर लैम्प, इंडक्शन चूल्हा व टिफिन इत्यादि शामिल हैं। श्रमिक कल्याण बोर्डों की धनराशि को प्रधानमंत्री कोष में शिफ्ट करने की साजिश चल रही है, जिसका दुरुपयोग होना तय है।

हिमाचल प्रदेश में सरकार की लापरवाही के कारण मनरेगा व निर्माण मजदूरों सहित लगभग 21 लाख असंगठित व प्रवासी मजदूरों का माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर ई-श्रम पोर्टल में पंजीकरण भी अधर में लटका हुआ है। इससे ही स्पष्ट है कि सरकार मजदूरों के प्रति संवेदनहीन है। मनरेगा मजदूरों को प्रदेश सरकार द्वारा तय 300 रुपए न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा है व यह कई राज्यों के मुकाबले में बेहद कम है। उनके वेतन का भुगतान तय समय पर नहीं किया जा रहा है। उन्हें निर्धारित एक सौ बीस दिन का काम भी नहीं दिया जा रहा है। महंगाई चरम पर है, जिसके कारण मजदूरों को और ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तथा उन्हें अपना दैनिक खर्चा करना बहुत मुशिकल हो गया है। इस प्रकार सरकार मनरेगा मजदूरों के साथ घोर अन्याय व भेदभाव कर रही है।

हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के पास राशि होने के बावजूद पंजीकृत मजदूरों को शादी, शिक्षण छात्रवृत्ति, मृत्यु सहित लाभ समय पर जारी नहीं कर रहा है, जबकि प्रचार के लिए एकमुश्त बारह करोड़ रुपए की राशि जारी करके इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। यह राशि 2-2 वर्षों से लंबित है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश श्रमिक कल्याण बोर्ड पर मजदूरों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी 300 रुपए करने, 120 दिन का काम सुनिश्चित करने, मजदूरों का पंजीकरण सरल व एक समान करने, मजदूरों को स्वीकृत सामग्री तुरंत जारी करने, बोर्ड से मिलने वाली सहायता सामग्री बहाल करने, शिक्षण छात्रवृत्ति, विवाह, चिकित्सा इत्यादि की लंबित सहायता राशि जारी करने, मजदूरों की पैंशन दो हजार रुपए करने, जिलों में मजदूरों के पंजीकरण हेतु अतिरिक्त स्टाफ  व श्रम कल्याण अधिकारी नियुक्त करने, सभी श्रम निरीक्षक कार्यालयों सहित सरकाघाट, आनी, केलांग में मजदूरों का पंजीकरण करने व लॉकडाऊन अवधि की राशि सभी को तुरंत जारी करने की मांग की है।

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Content Writer

Vijay

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