बिजली में बदली जा सकेगी वेस्ट एनर्जी, आईआईटी मंडी के शोधकर्त्ताओं को मिली सफलता

punjabkesari.in Friday, Aug 16, 2024 - 08:50 PM (IST)

मंडी(रजनीश): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्त्ताओं ने एडवांस्ड थर्मोइलैक्ट्रिक मैटीरियल का निर्माण किया है जिससे वातावरण में उपलब्ध वेस्ट एनर्जी को बिजली में बदला जा सकेगा। यह सफलता आईआईटी मंडी के शोधकर्त्ताओं को उनके द्वारा किए गए शोध में मिली है। वेस्ट एनर्जी में रोजमर्रा के कार्यों के आने वाली चीजें हैं जोकि एनर्जी का उत्पादन करती हैं।

इसमें घर में इस्तेमाल होने वाले पंखे, रैफ्रिजरेटर, खाना पकाने के बर्तन, बिजली की तार, कार या फिर छोटे-बड़े सभी प्रकार के उद्योग शामिल हैं। इनसे प्रतिदिन वेस्ट एनर्जी निकलती है जोकि ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है। अब इस वेस्ट एनर्जी को एडवांस्ड थर्मोइलैक्ट्रिक मैटीरियल की मदद से दोबारा बिजली में बदला जा सकेगा। इसके लिए अभी एक माॅड्यूल का बनना बाकी है, जिसके बाद इस एनर्जी को बिजली में तबदील करके इस्तेमाल किया जा सकेगा।

शोधकर्त्ता डाॅ. अजय सोनी ने बताया कि सल्फोसाल्ट टेट्राहेड्राइट्स में अनहार्मोनिक रैटलिंग पर हमारा शोध इन ठोस पदार्थों पर तापीय प्रबंधन को समझने के लिए परमाणु स्तर पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। यह प्रगति थर्मोइलैक्ट्रिक मैटीरियल्स में क्रांति लाने की क्षमता रखती है, जिससे अधिक कुशल शीतलन प्रणाली और ऊर्जा पुनर्प्राप्ति तकनीकें विकसित होंगी।

बड़े यूनिट सैल मिनरल चाल्कोजेनाइड्स पर किया है अध्ययन
यह शोध आई.आई.टी. मंडी के स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसिज के डा. अजय सोनी ने डा. केवल सिंह राणा, आदित्य सिंह, निधि, अनिमेष भुई, डा. चंदन बेरा और प्रो. कनिष्क बिस्वास के साथ मिलकर बड़े यूनिट सैल मिनरल चाल्कोजेनाइड्स पर किया है। यह पदार्थ अद्वितीय इलैक्ट्राॅनिक और कंपन गुण प्रदर्शित करते हैं।

शोध से पता चलता है कि क्रिस्टल चालकों के भीतर अनियमित परमाणु कंपन जो तापीय प्रवाहकत्व को काफी कम कर देता है और थर्मोइलैक्ट्रिसिटी के साथ-साथ थर्मल प्रबंधन अनुप्रयोगों के लिए उनकी प्रभावशीलता को बढ़ाता है।
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Content Writer

Vijay

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