उहल नदी के वजूद पर मंडराने लगा खतरा, बरोट डैम मैनेजमेंट नहीं छोड़ रहा पानी (Video)

punjabkesari.in Sunday, Mar 10, 2019 - 03:53 PM (IST)

मंडी (नीरज): हिमाचल प्रदेश की नदियों पर जितने भी डैम बने हैं, नियमों के तहत उन्हें 15 फीसदी पानी छोड़ना पड़ता है। लेकिन पर्यावरण प्रेमियों ने आरोप लगाया है कि मंडी जिला के बरोट में बने शानन प्रोजेक्ट डैम से 15 फीसदी पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। यही कारण है कि मंडी निवासी पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र सैनी ने इस संदर्भ में सीएम जयराम ठाकुर को एक लिखित शिकायत भेजकर कार्रवाई की मांग उठाई है। नरेंद्र सैनी का कहना है कि प्रबंधन डैम साइट से नदी में दो से तीन फीसदी पानी ही छोड़ रहा है जिससे नदी में जहां कई मछलियां मर रही हैं वहीं पर कई जीवों की जिंदगियां भी इससे खतरे में पड़ गई हैं।

इनका आरोप है कि प्रबंधन अतिरिक्त बिजली पैदा करने के चक्कर में पूरी तरह से नियमों को ताक पर रखकर अपना मुनाफा कमा रहा है। पहले भी इस बारे में पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र सैणी ने इसकी शिकायत एनजीटी से की थी। तब एनजीटी ने इस पर प्रोजेक्ट प्रबंधन को नोटिस भेज कर 15 फीसदी पानी छोडऩे के आदेश जारी किए थे। एनजीटी ने पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों से भी इस बारे में निरीक्षण करने को कहा गया था। जिस पर एक ज्वाइंट निरीक्षण के लिए एक टीम शानन का दौरा करने आई थी। जिसने भी रिपोर्ट सरकार और एनजीटी को भेज दी है।

नरेंद्र सैनी का आरोप है कि कुछ ऊर्जा विभाग के कुछ अधिकारी शानन प्रोजेक्ट के साथ मिलिभग्त के तहत यह सब काम कर रहे हैं। इन्होंने सरकार से इसकी भी जांच की मांग उठाई है। वहीं जब इस बारे में शानन डैम बरोट के एसडीओ गुरविंदर सिंह से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने लगाए जा रहे सभी आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट 1928 में बना है और एनजीटी के आदेश 2005 में जारी हुए हैं। एनजीटी ने अपने इन आदेशों के तहत शानन प्रोजेक्ट को विशेष छूट दे रखी है। उन्होंने बताया कि डैम प्रबंधन पर 15 फीसदी पानी छोड़ने की शर्त लागू नहीं होती और समयानुसार यहां से पानी छोड़ा जाता है।


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Ekta

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